आयोध्या में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन के महानायक परमहंस रामचंद्र दास की मृर्ति का अनावरण किया। यह घटना संत की 21वीं पुण्यतिथि पर हुई, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राम मंदिर के लिए समर्पित कर दिया था।
मृर्ति का अनावरण
मृर्ति का अनावरण संतों और धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में हुआ, और सीएम योगी आदित्यनाथ ने संत को पुष्प अर्पित किए। यह घटना दिगंबर अखाड़े में हुई, जहां संत ने अपना अधिकांश जीवन बिताया था। मुख्यमंत्री ने संत की समाधि पर भी जाकर अपनी श्रद्धा अर्पित की।
संतों ने की एक और मांग
मृर्ति के अनावरण के बाद, संतों ने एक और मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री से आयोध्या का नाम बदलकर ‘रामजन्मभूमि’ करने की मांग की। यह मांग उत्तर प्रदेश में कई शहरों और स्थानों के नाम बदलने के बाद आई है।
योगी का जवाब
मांग के जवाब में, सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार मांग पर विचार करेगी और जनता के हित में निर्णय लेगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राम मंदिर आंदोलन
राम मंदिर आंदोलन, जिसने 1980 के दशक में गति पकड़ी, भारत के धार्मिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटना थी। आंदोलन, जिसका नेतृत्व कई संतों और धार्मिक नेताओं ने किया, ने आयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की मांग की। आंदोलन ने 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का नेतृत्व किया, जिसके परिणामस्वरूप देशभर में साम्प्रदायिक हिंसा और दंगे हुए।
वर्तमान स्थिति
राम मंदिर मुद्दा वर्तमान में न्यायालय के समक्ष है, जहां सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है। न्यायालय निकट भविष्य में अपना फैसला सुनाएगा, जिसके परिणामस्वरूप भारत के धार्मिक और राजनीतिक परिदृश्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
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निष्कर्ष
परमहंस रामचंद्र दास की मृर्ति का अनावरण और आयोध्या का नाम बदलकर ‘रामजन्मभूमि’ करने की मांग भारत के धार्मिक और राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। आयोध्या के संत और धार्मिक नेता शहर और राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सरकार, दूसरी ओर, राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को
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