बस्ती। बहादुरपुर ब्लॉक के प्रतापपुर चौराहे पर चल रही श्रीराम कथा के दौरान नैमिषारण्य के संत गोपालजी मिश्र ने पुष्प वाटिका की कथा का ऐसा मार्मिक वर्णन किया कि श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने श्रीराम और सीता के प्रथम मिलन की पावन घटना को विस्तार से सुनाया, जिससे श्रोताओं की आंखों में भावनाओं की चमक झलक उठी।
संत गोपालजी मिश्र ने बताया कि जब विश्वामित्र अपने शिष्यों श्रीराम और लक्ष्मण के साथ मिथिला पहुंचते हैं, तो वे जनकवाटिका में रुकते हैं। सुबह-सुबह गुरु के पूजन के लिए श्रीराम और लक्ष्मण पुष्प लेने के लिए पुष्प वाटिका में जाते हैं। उसी समय सीता माता भी अपनी सखियों के साथ मां सुनयना के आदेश पर पार्वती मंदिर में पूजा के लिए आती हैं, सजी-धजी और शृंगार किए हुए।
संत ने कहा कि जब सीता की आवाज श्रीराम के कानों में गूंजती है, तो उन्हें पहले से ही आभास हो जाता है। इस पर श्रीराम लक्ष्मण से कहते हैं, “कामदेव नगाड़े बजाते हुए आ रहे हैं, मुझे बचाओ।” इसी क्षण राम और सीता की नजरें मिलती हैं। दोनों एक-दूसरे को अपलक निहारते हैं, और यह दृश्य श्रोताओं के हृदय को छू गया। इसके बाद लक्ष्मण, श्रीराम को वहां से दूर ले जाते हैं।
सीता माता पार्वती के मंदिर में पहुंचकर देवी से प्रार्थना करती हैं और श्रीराम को पति के रूप में प्राप्त करने की विनती करती हैं। इधर, सरल स्वभाव के श्रीराम पुष्प लेकर गुरु विश्वामित्र के पास जाते हैं और उन्हें सारी घटना बताते हैं। विश्वामित्र श्रीराम को आशीर्वाद देते हुए कहते हैं, “तुमने मुझे फूल दिए, अब तुम्हें फल प्राप्त होगा।”
इस कथा ने श्रोताओं को भक्ति और प्रेम से भर दिया। कथा के दौरान आयोजकों अजीत कुमार सिंह झिन्नू, संतोष कुमार सिंह, एडवोकेट नरेंद्र पांडेय, इंद्रजीत सिंह, धर्मेंद्र सिंह बब्बू आदि ने व्यास गद्दी का पूजन किया।
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