सरयू नदी खतरे के निशान से 27 सेंटीमीटर नीचे हो रही प्रवाहित
बस्ती: सरयू नदी का जलस्तर अब खतरे के निशान से 27 सेंटीमीटर नीचे आ गया है। यह स्थानीय लोगों के लिए राहत की खबर है, खासकर उन गांवों के लिए जो बाढ़ के प्रभाव में थे। नदी के जलस्तर के घटने के साथ ही बाढ़ का पानी भी धीरे-धीरे गांवों से हट गया है, हालांकि वहां अब केवल कीचड़ ही बचा है।
तटबंध और नदी के बीच के क्षेत्र में चौपट हो रही खेती-किसानी
सरयू नदी का जलस्तर कम होने के बावजूद तटबंध और नदी के बीच के क्षेत्र में खेती-किसानी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। फसलों के पानी में लंबे समय तक डूबे रहने से वे पीली पड़ गई हैं। किसान इस स्थिति को देखकर चिंतित हैं, क्योंकि फसलें खराब हो रही हैं और उनकी मेहनत बर्बाद हो रही है।
केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार
केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार, रविवार को सरयू नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु 91.730 मीटर पार कर 92.460 मीटर पर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान 92.73 मीटर से 27 सेंटीमीटर नीचे है। पिछले चार दिनों से सरयू का जलस्तर घट-बढ़ रहा है, लेकिन रविवार की दोपहर से नदी स्थिर है।
धान की फसल के लिए किसानों की चिंता
धान की फसल के लिए पौधों की रोपाई की गई थी, लेकिन नदी के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी से फसलों को नुकसान पहुंचा है। लगातार जलस्तर में उतार-चढ़ाव के कारण पौधों में सड़न होने लगी है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
सुबिका बाबू गांव की स्थिति
सुबिका बाबू गांव के लोग अब भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। यहां के ग्रामीणों को कीचड़ युक्त रास्तों से होकर आना-जाना पड़ रहा है, जिससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। नदी का जलस्तर घटने के बाद भी ग्रामीणों की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्रामीण इस स्थिति को देखकर थोड़ा राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन पूरी तरह से निश्चिंत नहीं हो पाए हैं। तटीय क्षेत्रों में कीचड़ और फसलें खराब होने के कारण लोग चिंतित हैं और सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं।