बस्ती न्यूज– उड़ीसा की यूनिवर्सिटी के नाम पर एक धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें डी. फार्मा, एएनएम और अन्य कोर्स के लिए प्रवेश दिलाने के नाम पर 38 लाख रुपये ठग लिए गए। जब रुपये वापस करने के दबाव बढ़ा, तो आरोपी ने फ़र्ज़ी मार्कशीट दिखाकर अपने आप को बचाने का प्रयास किया।
फ़र्ज़ी मार्कशीट से 38 लाख रुपये की ठगी!
उड़ीसा की यूनिवर्सिटी के नाम पर एक धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें डी. फार्मा, एएनएम और अन्य कोर्स के लिए प्रवेश दिलाने के नाम पर 38 लाख रुपये ठग लिए गए। जब रुपये वापस करने के दबाव बढ़ा, तो आरोपी ने फ़र्ज़ी मार्कशीट दिखाकर अपने आप को बचाने का प्रयास किया।
कप्तानगंज थाना क्षेत्र के रेहरवा निवासी कृष्ण कुमार चौधरी, निजी इंटरमीडिएट काॅलेज के चलाने वाले, ने उच्चाधिकारियों को शिकायती पत्र भेजकर इस धोखाधड़ी का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि लालगंज थानानाक्षेत्र के रक्सा निवासी राम आशीष यादव, विनोद कुमार यादव (बरेली निवासी), और स्वतंत्र श्रीवास्तव (उरई जालौन निवासी) ने उन्हें डी. फार्मा, एएनएम और जीएनएम कोर्स की मान्यता दिलाने का झांसा दिया।
इन लोगों ने विश्वास दिलाने के लिए कई शिक्षण संस्थाओं के ऑनलाइन और ऑफलाइन ब्योरे दिखाए।
यह घटना बस्ती में एक अनोखी और चौंकानेवाली है, जो लोगों को सताने वाली धोखाधड़ी के खिलाफ जागरूक करती है। इसमें साजिश के तेवर और ठगों की चालाकी का पर्दाफाश हुआ है।
छात्र-छात्राओं के प्रवेश के नाम पर धोखाधड़ी का खुलासा!
तीनों आरोपियों ने छात्र-छात्राओं के नाम पर तीन अलग-अलग कॉलेजों में प्रवेश करवाने के नाम पर अपने खाते के अलावा अन्य खातों में करीब 38 लाख रुपये जमा करा लिए थे। जब इस धोखाधड़ी का पता चला, तो उन्होंने छात्रों का एडमिशन ओम साई कॉलेज ऑफ फार्मेसी उड़ीसा, जयपुरी कॉलेज ऑफ फार्मेसी उड़ीसा, और भवानी पटना कॉलेज ऑफ साइंस उड़ीसा में करवा दिया था।
इनमें से कुछ छात्रों को इनरोलमेंट और प्रवेश पत्र भेजे गए थे। यहां तक कि कुछ छात्रों का पैसा लेकर उन्हें डाकार गए थे। धोखाधड़ी के चलते उन्होंने दबाव बनाने के लिए किसी रजिस्टर्ड संस्था के मार्कशीट को रजिस्टर्ड डाक से भेजकर दूसरे सेमेस्टर का भी पैसा जमा करवा लिया था।
इस धोखाधड़ी का खुलासा होने पर फर्जी मार्कशीट भी सामने आई। अधिकारियों के निर्देश पर इन तीनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है और उन्हें कोतवाली थाने में नामजद होने के चलते उन्हें जेल भेज दिया गया है।
यह एक ऐसी घटना है जो छात्रों को और उनके परिवारों को धोखाधड़ी के अख़्बारी रंग में रंगने वाली है। इस तरह के धोखाधड़ीबाजों के पकड़े जाने से सामाजिक सद्भाव और विश्वास को धकेलने वाले तत्वों के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ेगी।
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