बस्ती: अयोध्या से बस्ती के बीच हाईवे भगवा मय हो चला है। भगवान शिव के अभिषेक के लिए जल लेने निकले कांवड़िये जत्थों में तब्दील हो रहे हैं। बदन को झुलसाती सूरज की तपिश और तपती पथरीली सड़क पर पांवों में छाले उभरने लगे हैं। छालों से जूझते कदम बढ़ते जा रहे हैं। जैसे ही कदमों के साथ मन भी थकता है, बोल बम का नारा गूंजता है और कांवड़िया फिर उत्साह से लबरेज होकर सफर में आगे बढ़ जाता है। बोल बम के नारे से कांवड़िये एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाते नजर आ रहे हैं।
नंगे पांव भक्ति का सफर:
बुधवार तक 80 किमी लंबा अयोध्या-बस्ती हाईवे कांवड़ियों से भर जाएगा। गेरूआ वस्त्र और कंधे पर सरयू के पवित्र जल से लबालब भरी कांवड़, पीठ पर भगवा झोला, सांसारिक संसाधनों से कोई नाता नहीं, नंगे पांव बढ़ते जा रहे हैं। कंकरीली-पथरीली राह पर चलते-चलते पांवों में छाले पड़ने लगे हैं। सूर्य की तपिश ने भक्ति की इस परीक्षा को और कठिन बना दिया है, मगर शिवभक्तों की अटूट श्रद्धा सिर चढ़कर बोल रही है।
बोल बम की संजीवनी:
मुक्त कंठ से निकल रही बोल बम की आवाज ही संजीवनी बन गई है। बोझिल पैरों से आस्था की राह हर कोई नाप रहा है। राम की सरयू अनगिनत कंधों पर सवार होकर बाबा के दरबार पहुंच रही है। श्रावण शिवरात्रि के दिन शिवभक्त सरयू के जल से भोलेनाथ का अभिषेक करेंगे। कांवड़ यात्रा में शामिल श्रद्धालु जैसे-जैसे अयोध्या से बस्ती की तरफ बढ़ रहे हैं, नजारा दिव्य बनता जा रहा है।
शिविरों का आयोजन:
सोमवार को कांवड़ उठाने वाले श्रद्धालु मंगलवार की शाम तक 35 किमी की दूरी तय कर हर्रैया तहसील मुख्यालय पहुंचे। इनका अगला डेरा अमहट पर होगा। मंगलवार को कांवड़ यात्रा शुरू करने वाले बुधवार तक हर्रैया पहुंचेंगे। इस तरह अगले 24 घंटे में बस्ती से अयोध्या तक कांवड़ियों की लंबी शृंखला तैयार होगी। सामाजिक संस्थाओं ने जगह-जगह राहत शिविरों का आयोजन किया है। कांवड़ियों को मदद पहुंचाई जा रही है। कुछ श्रद्धालु पांव में छाले पड़ने से मरहम, पट्टी कराने के बाद फिर से यात्रा में शामिल हो रहे हैं। असहनीय दर्द के बाद भी उनके कदम बढ़ते जा रहे हैं। बाबा भद्रेश्वरनाथ धाम से लेकर अयोध्या तक पूरा मार्ग देवघर बनने को आतुर है।
भजनों की बौछार में धुल रही थकान:
कांवड़ मार्ग शिवमय हो चला है। देवाधिदेव का रास्ते भर जयगान हो रहा है। यात्रा में आकर्षक झांकियां लेकर चल रहे पिकअप और ट्रैक्टर-ट्रॉली पर लगे म्यूजिक सिस्टम भक्ति के उत्सव में चार चांद लगा रहे हैं। रास्ते भर शिवभजनों की बौछार हो रही है। श्रद्धालु भजन गीतों पर थिरकते हुए आगे बढ़ रहे हैं। इन गीतों पर ध्यान लगाते ही थकान दूर हो जा रही है। इस तरह भोले के वशीभूत श्रद्धालु झूमते-नाचते हुए यात्रा पूरी कर रहे हैं।
महिलाएं और बच्चे भी शामिल:
भोले बाबा बड़े दयालु हैं, जिनकी मन्नत पूरी हुई है वे भी इस बार कांवड़ उठाए हैं। इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। देईसांड़ की प्रमिला बताती हैं कि बाबा की कृपा से संतान की प्राप्ति हुई है, इसलिए इस बार कांवड़ उठाया है। 13 साल के प्रिंस की मां रिंकी ने बताया कि उनके बेटे की तबीयत खराब हो गई थी। अब वह ठीक हो गया है। बाबा ने मनौती पूरी कर दी। इस बार बेटे के साथ बाबा के दरबार में कांवड़ लेकर पहुंचने का अरमान है।
होटल और ढाबों पर कांवड़ियों की भीड़:
गोरखपुर-लखनऊ हाईवे पर आवागमन बंद है। फिर भी होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट चालू हैं। यहां कांवड़ियों की भीड़ जुट रही है। घघौआ से लेकर बस्ती तक इन कारोबारियों में उत्साह बढ़ा हुआ है। सामान्य दिनों की अपेक्षा इनके यहां बिक्री ज्यादा हो गई है। बिना लहसुन, प्याज के व्यंजन अधिकतर जगह परोसे जा रहे हैं