यज्ञ कर आर्य समाज ने मनाया विश्व वन्य जीव दिवस


जंगली जीव और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर रोक लगाने और इसके लिए आमजनमानस को जागरूक करने के उद्देश्य से सर्वप्रथम थाइलैंड ने 1973 में विश्व वन्य जीव दिवस मनाने का निर्णय लिया जो स्वागत योग्य था पर भारत में सृष्टि काल से ही जीवों के संरक्षण और समृद्धि के लिए ऋषियों ने यज्ञीय जीवन प्रणाली को अपनाने का संदेश दिया है उक्त बातें वन्य जीव दिवस के अवसर पर वैदिक यज्ञ कराते हुए यज्ञाचार्य अनूप कुमार त्रिपाठी ने कहीं।

आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा स्वामी दयानन्द विद्यालय सुरतीहट्टा बस्ती में आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने वैदिक मंत्रों से आहुतियां देते हुए वन्य जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प लिया।

आचार्य ने बताया कि ऋषियों ने पंच महायज्ञों में देवयज्ञ और बलिवैश्वदेव यज्ञ के माध्यम से पर्यावरण और जीवों के संरक्षण का सुझाव दिया है। जीवन में पंच महायज्ञों को जीवन में धारण करना हमारा कर्तव्य है। ज्ञात हो कि पर्यावरण और वन्य जीवों को संरक्षित करने से भूमि पर जीवन को संभाला जा सकता है।

वन्य जीवों के लुप्त होने से पर्यावरणीय संतुलन और विकास पर असर पड़ता है। यह दिन हमें संगठन के रूप में मिलकर जनजागरण करने की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से शिव श्याम, राधा देवी, दिलीप कुमार, कार्तिकेय, वैष्णवी, परी कुमारी आदि सम्मिलित रहे।
गरुण ध्वज पाण्डेय

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