गौर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) गौर में मरीजों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए 11 महीने पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक्स-रे मशीन स्थापित की गई थी, लेकिन लो वोल्टेज और अर्थिंग की कमी के कारण यह मशीन अब तक चालू नहीं हो पाई है। डीएम और सीएमओ के कई निर्देशों और निरीक्षणों के बावजूद मशीन का संचालन अभी भी शुरू नहीं हो सका, जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
स्वास्थ्य केंद्रों की उपेक्षा
गौर सीएचसी के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बभनान, हलुआ बाजार, हरदी, मुसहा और बेलघाट आते हैं, जहां बड़ी संख्या में मरीज प्रतिदिन ओपीडी में आते हैं। हालांकि, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाकर अधिक पैसे खर्च कर एक्स-रे कराना पड़ रहा है। नवंबर में स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के लिए मुफ्त एक्स-रे की सुविधा देने के लिए मशीन लगाई थी, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण यह धूल खा रही है।
मशीन चलाने के लिए असिस्टेंट टेक्नीशियन की भी नियुक्ति हो चुकी है, फिर भी लो वोल्टेज की समस्या के कारण अर्थिंग नहीं हो पाई है। ऐसे में मशीन मरीजों के लिए बेकार साबित हो रही है। स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायत की है, जिसके बाद पांच अगस्त को डीएम रवीश कुमार, सीडीओ जयदेव सीएस और सीएमओ डॉ. आरएस दुबे ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। उस समय अधिकारियों ने एक्स-रे मशीन को जल्द चालू करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
छह माह में सात बार निरीक्षण, लेकिन समाधान नहीं
सीएमओ डॉ. आरएस दुबे ने पिछले छह महीनों में सात बार गौर सीएचसी का निरीक्षण किया है— 23 अप्रैल, 2 और 17 मई, 7 जून, 29 जुलाई, 5 अगस्त, और 2 सितंबर को। हर बार उन्होंने मरीजों को यह आश्वासन दिया कि जल्द ही एक्स-रे मशीन चालू हो जाएगी, लेकिन आज तक मशीन का संचालन शुरू नहीं हो सका है। मरीजों को अब भी निजी केंद्रों में ज्यादा पैसे खर्च कर जांच करानी पड़ रही है।
अधिकारियों का बयान
सीएमओ डॉ. आरएस दुबे ने बताया कि लो वोल्टेज और अर्थिंग की समस्या के कारण मशीन चालू नहीं हो पा रही है। बिजली निगम के अधिशासी अभियंता हर्रैया से बात की गई है, जिन्होंने एक सप्ताह के भीतर लो वोल्टेज की समस्या को दूर करने का आश्वासन दिया है। साथ ही, मशीन को चालू कराने के लिए संबंधित कंपनी को भी पत्र भेजा गया है, और जल्द ही इसे ठीक कर चालू कर दिया जाएगा।
मरीजों और स्थानीय जनता की नाराजगी बढ़ती जा रही है, क्योंकि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से उन्हें अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। अब देखना होगा कि प्रशासन कब तक इस समस्या का समाधान करता है।
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