सोने की कीमत में एक बार फिर काफी तेजी आई है। इस साल सोना 40% उछल चुका है और माना जा रहा है कि अगले साल तक इसमें 50% उछाल आ सकती है। भारतीय रुपये में इसकी कीमत 1,55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है। आखिर क्या है इसकी वजह…
नई दिल्ली: सोने की कीमत में एक बार फिर भारी उछाल देखा जा रहा है। शुक्रवार को सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3650 डॉलर प्रति ओंस तक पहुंच गई। इस साल इसकी कीमत में 40% तेजी आई है। अगर पिछले तीन साल का रेकॉर्ड देखें तो सोने की कीमत 109 फीसदी बढ़ चुकी है। MCX पर 3 अक्तूबर की डिलीवरी वाला सोना शुक्रवार को 1,07,740 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर बंद हुआ। गोल्डमैन सैश के मुताबिक अगले साल तक सोने की कीमत 1,55,000 रुपये तक जा सकती है। आखिर क्यों आ रही है सोने की कीमत में तेजी…
सोने को दुनिया का सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है और जब भी दुनिया पर कोई आफत आती है तो सोने की चमक बढ़ जाती है। महंगाई, अमेरिका की वित्तीय स्थिति, फेड रिजर्व की आजादी, डॉलर की कमजोर और भूराजनीतिक उथलपुथल के कारण एक बार फिर सोने की कीमत में तेजी आ रही है। भारत, तुर्की और चीन समेत दुनिया के कई देशों के सेंट्रल बैंक अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ा रहे हैं। यह लगातार चौथा साल है जब ये बैंक 1000 टन सोना खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
क्यों चढ़ रहा है सोना
हाल में सोना यूरो को पछाड़कर दूसरे सबसे बड़ा ग्लोबल रिजर्व बना गया है। उसके आगे अब केवल डॉलर रह गया है। 1996 के बाद यह पहला मौका है जब सेंट्रल बैंक्स के भंडार में ट्रेजरी से ज्यादा सोना जमा है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के पास अभी 36,000 टन सोना है। कोरोना महामारी के बाद महंगाई बढ़ने और 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद सेंट्रल बैंक्स ने अपने रिजर्व में सोने की मात्रा बढ़ाई है। पिछले तीन साल में उन्होंने हर साल 1000 टन से ज्यादा सोना खरीदा है। उनके पास 4.5 ट्रिलयन डॉलर का सोना पड़ा है जबकि ट्रेजरीज की वैल्यू $3.5 ट्रिलियन डॉलर है।
घरेलू बाजार में सोने और चांदी ने पिछले एक साल में निफ्टी और सेंसेक्स से कहीं ज्यादा रिटर्न दिया है। इस दौरान दोनों बेंचमार्क इंडेक्स ने करीब 3% का नेगेटिव रिटर्न दिया है। इन दोनों कीमती धातुओं ने एक साल में 45% से ज्यादा का रिटर्न देकर अपनी बढ़त को लगभग 50% तक पहुंचा दिया है। फेड द्वारा ब्याज दरें आसान करने की उम्मीदों, बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच सोने और चांदी की कीमत में तेजी आई है।
दिल्ली में सोने-चांदी का भाव
इसके विपरीत अमेरिका-भारत के टैरिफ से संबंधित मुद्दे विदेशी फंडों द्वारा लगातार बिकवाली और रुपये की कमजोरी ने मिलकर घरेलू शेयर की कीमतों को नीचे खींचा है। इसका परिणाम यह है कि पिछले एक साल में सेंसेक्स और निफ्टी मुश्किल से परफॉर्म कर पाए हैं। जानकारों का कहना है कि सोने-चांदी में यह मौजूदा रैली के कुछ और महीनों तक जारी रहने की संभावना का संकेत देती हैं।
स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली और मजबूत वैश्विक रुझानों के चलते शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 900 रुपये बढ़कर रिकॉर्ड स्तर के करीब 1,06,970 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। गुरुवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 1,000 रुपये फिसलकर 1,06,070 रुपये प्रति 10 ग्राम रही थी। कारोबारियों ने कहा कि फेडरल रिजर्व द्वारा 16-17 सितंबर को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती का विकल्प चुनने की संभावना के बीच तेजी को गति मिल रही है।
किससे पास है सबसे ज्यादा सोना
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी शुक्रवार को 900 रुपये बढ़कर 1,06,100 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया, जबकि पिछला बंद भाव 1,05,200 रुपये प्रति 10 ग्राम था। सर्राफा संघ के अनुसार, शुक्रवार को चांदी की कीमतें 1,25,600 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर स्थिर रहीं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज़ के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा कि अमेरिका में ब्याज दरों में कमी और सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ने की उम्मीदों के चलते सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन सोने में तेजी आई।
दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश अमेरिका का गोल्ड रिजर्व दुनिया में सबसे ज्यादा है। दुनिया का कोई भी देश इस मामले में उसके आसपास भी नहीं है। अमेरिका के पास 8,133.46 टन सोना है। उसके बाद जर्मनी (3,351.53 टन), इटली (2,451.84 टन), फ्रांस (2,437 टन), चीन (2,279.56 टन), स्विट्जरलैंड (1,039.94 टन) और भारत (880 टन) का नंबर है। आरबीआई ने भी हाल के वर्षों में काफी सोना खरीदा है।
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