भीषण गर्मी से तेज बुखार और डायरिया से पीड़ित बच्चों की बढ़ती संख्या

बस्ती। भीषण गर्मी बच्चों की सेहत पर गंभीर असर डाल रही है। तेज लू और अत्यधिक तापमान के चलते मासूम बीमार पड़ रहे हैं, जिनमें तेज बुखार के साथ उल्टी-दस्त की समस्या प्रमुख है। इन बीमारियों से ठीक होने में पांच से सात दिन का समय लग रहा है। ज्यादातर 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे डायरिया की चपेट में आ रहे हैं, जिनमें से कई को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। इस समय जिला अस्पताल का चिल्ड्रन वार्ड बीमार बच्चों से भरा हुआ है।

उच्च तापमान के कारण डायरिया का प्रकोप बढ़ गया है और ज्यादातर बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। हल्की सी असावधानी भी उन्हें बीमार बना रही है। तेज बुखार के साथ उल्टी-दस्त की समस्या शुरू हो जाती है और कुछ ही घंटों में बच्चे सुस्त पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाना ही बेहतर है। बच्चों के साथ थोड़ी सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है। जिला अस्पताल का 25 बेड वाला चिल्ड्रन वार्ड बीमार बच्चों से भरा हुआ है, जहां बेड खाली न होने के कारण दो-दो बच्चों को एक ही बेड पर भर्ती करना पड़ रहा है। ओपीडी में भी बीमार बच्चों की संख्या बढ़ गई है और चिकित्सक उन्हें ठीक करने में विशेष सावधानी बरत रहे हैं। तेज बुखार और उल्टी-दस्त से उबरने के लिए बच्चों को कम से कम तीन दिनों तक मेडिसिन पर रखा जा रहा है।

महिला अस्पताल की ओपीडी में भी भीषण गर्मी से पीड़ित नवजात बच्चों की संख्या बढ़ गई है। एसएनसीयू वार्ड भी बीमार बच्चों से भरा हुआ है।

बच्चों के साथ रखें विशेष सावधानी

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज शुक्ल ने कहा कि भीषण गर्मी में बच्चों की देखभाल में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बच्चों को तेज धूप और लू से बचाना चाहिए। उन्हें संतुलित आहार दें और नवजात शिशुओं को कूलर या पंखे में मां का दूध पिलाएं। तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों को ओआरएस घोल और अधिक पानी पिलाएं। बुखार होने पर साफ कपड़े से बार-बार उनके शरीर को पोछें। उल्टी, दस्त और बुखार से पीड़ित बच्चों को तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं और झोला छाप डॉक्टरों से बचें। तबीयत खराब होते ही बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाने से खतरे को काफी हद तक टाला जा सकता है।

इस भीषण गर्मी के मौसम में बच्चों की सेहत का खास ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि वे इन समस्याओं से बच सकें और स्वस्थ रहें।

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