emple Timing During Sootak Kal: उज्जैन में मंदिरों के दर्शन करने पहुंचे हैं, तो पहले जान लें सूतक काल में कौन से मंदिर बंद रहेंगे और आप समय से पहले कब दर्शन कर सकते हैं
देश में जब-जब ग्रहण जैसी खगोलीय घटना होती है, तब-तब लोग कई चीजों को लेकर सतर्क हो जाते हैं। वहीं कई मंदिरों के कपाट सूतक काल में बंद होने लगते हैं या उनके दर्शन करने का समय बदल जाता है। देश में कई मंदिर तो ऐसे हैं जो ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं लेकिन बस दर्शन का वक्त उनका बदल दिया जाता है। लेकिन अगर आप किसी खास मंदिर में ही इस दौरान दर्शन के लिए जा रहें हैं तो बेहतर होगा आप बदले हुए समय के बारे में जान लें।
बता दें, चंद्र ग्रहण के कारण उज्जैन के कई मंदिरों का समय बदल दिया गया है। ग्रहण के चलते मंदिरों की सामान्य दिनचर्या और पूजा-पाठ की व्यवस्था में एक दिन के लिए बदलाव किया गया है। ग्रहण रात 9:58 बजे से शुरू होगा, लेकिन इसका सूतक रविवार दोपहर 12:58 बजे से ही लागू हो जाएगा। चलिए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में।
महाकाल जाने वाले भक्त जान लें समय

चंद्र ग्रहण की वजह से महाकाल मंदिर की रात्रि पूजा और आरती के समय में बदलाव किया गया है, सामान्य समय में नहीं बल्कि 7 सितंबर को शयन आरती रात 9 बजे से शुरू होकर 9:30 बजे तक संपन्न हो जाएगी, जबकि आम दिनों में आरती का समय रात्रि के 11 बजे होता है। हालांकि, सुबह की भस्म आरती, भोग आरती और संध्या आरती उसी सामान्य समय पर की जाएगी।
बता दें महाकाल ऐसा मंदिर है, जो सूतक के दौरान बंद नहीं होता, भक्त इस दौरान भी दर्शन कर सकते हैं। लेकिन शयन आरती के बाद मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। ग्रहण खत्म होने के बाद अगले दिन समोवार आरती से पहले मंदिर का शुद्धिकरण होगा, मंदिर को धोने के बाद ही भगवान को शुद्ध स्नान और पूजा कराया जाएगा।
इन मंदिरों पर भी पड़ा ग्रहण का प्रभाव

महाकाल मंदिर के अलावा शहर के दूसरे कुछ मंदिरों में भी ग्रहण का असर देखने को मिलेगा। सूतक लगने से पहले यहां पूजा और आरती होगी, जिसके बाद मंदिर के मेन कक्ष द्वार बंद कर दिए जाएंगे, भक्त मंदिर में जा तो सकेंगे, लेकिन भगवान के दर्शन नहीं कर सकेंगे।
सांदीपनि आश्रम
भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम और दूसरे वैष्णव मंदिरों में भी सूतक काल से पहले पूजा-आरती कर दी जाएगी। फिर सोमवार सुबह शुद्धिकरण के बाद ही नियमित पूजा होगी। मान्यता है कि यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण, उनके भाई बलराम और सुदामा ने गुरुकुल शिक्षा प्राप्त की थी। यह स्थान प्राचीन काल से शिक्षा और आध्यात्मिक साधना का केंद्र माना जाता है। आश्रम में आज भी गुरुकुल जैसी परंपरा की झलक दिखाई देती है।


हरसिद्धि माता मंदिर
उज्जैन में हरसिद्धि माता मंदिर की दिनचर्या भी बदलेगी। सूतक शुरू होने से पहले माता की पूजा और आरती कर दी जाएगी। सूतक लगने के बाद माता का स्पर्श नहीं होगा ना ही गर्भगृह में प्रवेश रहेगा। इस दौरान श्रद्धालु बाहर से ही माता के दर्शन कर पाएंगे। हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यहां देवी सती का कोहनी भाग गिरा था, इसलिए यह स्थान 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। नवरात्रि के दौरान सैकड़ों दीपक जलाए जाते हैं।


काल भैरव मंदिर

सूतक काल और चंद्र ग्रहण के समय भगवान काल भैरव मंदिर का भोग नहीं लगेगा। काल भैरव मंदिर उज्जैन के सबसे अद्भुत और प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। यह भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव को समर्पित है। कहा जाता है कि उज्जैन के आठ भैरवों में काल भैरव प्रमुख हैं और इनकी पूजा किए बिना उज्जैन यात्रा अधूरी मानी जाती है।
तो इस तरह अगर आप उज्जैन में हैं तो ऊपर बताए सूतक काल समय से पहले इन जगहों के दर्शन करने जा सकते हैं, इसके बाद सोमवार के दिन ही आप मंदिरों में प्रवेश कर सकेंगे।
news xprees live