ट्रंप ने अपने रुख में बदलाव का संकेत देते हुए कहा है कि वह हमेशा मोदी के दोस्त रहेंगे। इस पर पीएम मोदी की ओर से सकारात्मकता दिखाई गई है। यह भारत-अमेरिका संबंधों को लिए अहम है।
वॉशिंगटन: भारत और अमेरिका के बीच लंबी तनातनी के बाद संबंधों में नरमी के संकेत मिले हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ आक्रामकता छोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त कहा है। इस पर नरेंद्र मोदी की ओर से ट्रंप को सराहा गया है। दोनों नेताओं ने अपनी व्यक्तिगत मित्रता और द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती पर बात की है। इसे भारत और अमेरिका में रिश्ते सुधारने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है। दोनों देशों के रिश्ते व्यापार समझौते और रूसी तेल खरीद जैसे मुद्दे पर तनाव से गुजर रहे हैं।
रक्षा और विदेश मामलों के जानकार और लेखक शिशिर गुप्ता ने एचटी में अपने लेख में भारत और अमेरिका के संबंधों पर बात की है। गुप्ता कहते हैं किट्रंप ने कहा कि वह हमेशा मोदी के दोस्त रहेंगे और भारत-अमेरिका के विशेष संबंधों को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका से संबंधों को बहुत महत्व देते हैं। दोनों नेताओं की इस बातचीत के बाद दोनों देशों को एक व्यापार समझौता करना है।
अगला कदम क्या होगा
ट्रंप और मोदी की ओर से स्पष्ट किया गया है कि वे बेहतर द्विपक्षीय संबंधों के पक्षधर हैं। इसके बाद अगला कदम शायद यह होगा कि वॉशिंगटन से दिल्ली के खिलाफ उठ रही तीखी आवाजें धीमी पड़ जाएंगी। इस बात की भी प्रबल संभावना है कि दोनों नेता एक-दूसरे से बात करने के लिए फोन उठाएं और संबंधों को मजबूत करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दें।
ट्रंप के बयान पर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया से लगता है कि दिल्ली ट्रंप के रुख में बदलाव का इंतजार कर रही थी। भारत किसी भी तरह से चीन के करीब नहीं जा रहा था। भारत सिर्फ रूस के साथ बातचीत जारी रखते हुए चीन के साथ संबंधों को सामान्य बना रहा था। भारत ने अमेरिका को यह समझाने की कोशिश की कि रूस से संबंध वैश्विक भलाई के लिए हैं। वह अमेरिका के साथ व्यापार समझौता चाहता है।
पर्दे के पीछे चलती रही बात
अमेरिकी अधिकारियों के भारत पर हमलावर रहने के बीच पर्दे के पीछे बातचीत चलती रही है। भारत के एक शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार ने पिछले महीने अमेरिका का दौरा किया। इस अफसर ने अमेरिकी खुफिया एवं प्रवर्तन एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की। इससे भारत को विश्वास हुआ कि संबंधों में सुधार होगा। अमेरिका का संदेश था व्यापार पर असहमति छोटी बात है और द्विपक्षीय संबंध पहले की तरह चलते रहेंगे।
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