दिल की बीमारी के बारे में 10 साल पहले पता कर सकते हैं। समय पर पहचानकर सही एहतियात और जीवनशैली के बदलाव कर सकते हैं। जिससे भविष्य में हार्ट अटैक और दूसरी बीमारियों का खतरा कम हो जाए।
हमारे पास एक ही दिल होता है। अगर इसमें खराबी आ जाए तो बचना नामुमकिन हो जाएगा। सबसे ज्यादा हार्ट अटैक की वजह से लोगों की जान जाती है। पहले यह बुढ़ापे की बड़ी बीमारी थी, इसलिए जवान लोग हल्के में लेते हैं। लेकिन पिछले कुछ साल से इसने बच्चों को भी शिकार बनाना शुरू कर दिया है।
दिल के फंक्शन के बिगड़ने पर आसानी से पता नहीं चलता है। जिस वजह से दिल का दौरा अचानक आता है और संभलने का मौका नहीं देता। लेकिन आप डॉक्टर का कहना है कि आप इसके आने के 10 साल पहले पता लगा सकते हैं कि हार्ट को नुकसान पहुंचने लगा है। फरीदाबाद स्थित सर्वोदया हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर एंड हेड डॉक्टर अमित कुमार ने खतरा पता करने के 3 उपाय बताए हैं।
दिल की बीमारी का कारण

दिल खराब होने की सबसे बड़ी वजह आर्टरी में प्लाक का जमना है। अक्सर अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से यह होता है। जब हम अपनी दिनचर्या में गलत आदतें अपनाने लगते हैं तो समस्या खड़ी हो जाती है। इसलिए खाने में संतुलित आहार और रेगुलर एक्सरसाइज करें।
हार्ट डिजीज के लक्षण ना करें इग्नोर

काफी पसीना आना
बीपी और कोलेस्ट्रॉल का बढ़ते जाना
लगातार थकान या कमजोरी रहना
चलने पर सीने में दर्द या दबाव
अचानक सांस फूलना या चढ़ाई में समस्या होना
दिल की धड़कन तेज या धीमी होना
पैर में सूजन आना
3 उपाय से करें पता

डॉक्टर अमित कुमार ने हार्ट डिजीज को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका समय पर जांच करवाने को कहा। इसके लिए इन 3 हेल्थ स्क्रीनिंग करवा सकते हैं।
- शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ईसीजी- 25 साल की उम्र के बाद हर 1-2 साल में
- इकोकार्डियोग्राफी और TMT टेस्ट- जरूरी होने पर डॉक्टर से सलाह लें
- ब्लड प्रेशर की जांच- घर पर ही रेगुलर ब्लड प्रेशर का टेस्ट करें
बचने का सर्वोत्तम तरीका

- नींद, डाइट और फिजिकल एक्टिविटी सही रखें
- हर दिन कम से कम 30 मिनट टहलें या एक्सरसाइज करें
- ताजे फल और हरी सब्जियां खाएं
- तेल और नमक का कम सेवन करें
- धूम्रपान और शराब से दूरी
- तनाव को कम करें
- योग और ध्यान करें
10 साल पहले शुरू होने लगती है बीमारी

डॉक्टर का कहना है कि दिल से जुड़ी बीमारियां एकदम नहीं होती। इनका विकास धीरे धीरे होता है, जो अक्सर 10 साल शुरू हो जाता है। अगर शुरुआती संकेतों को पहचानकर समय पर जांच करवा लें तो जान बचाई जा सकती है। खतरे को भांपकर लाइफस्टाइल में सुधार करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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