डांस करने पर लोग बोले- हरियाणा को बदनाम करेगी:प्रोग्राम देखने 13 लाख लोग जुटे, कभी सुसाइड की कोशिश की; अब सपना पर बनी फिल्म

कई लोग बोल देते हैं कि नाचकर हिट हो गई। ना ना ना….नाचकर हिट नहीं हुई हूं। खुद को तोड़-तोड़कर हिट हुई हूं। रोज टूटी हूं। शरीर का एक-एक हिस्सा और मन की एक-एक हसरत को तोड़ा है। मुझे ये नहीं पता होता था कि मेरे पैरों में कितने छाले हैं, शरीर में कहां-कहां चोट लगी है और लोग मुझे लेकर क्या बोल रहे हैं। अगले दिन उठकर फिर शो के लिए जाती थी क्योंकि ऑडियंस मेरा इंतजार कर रही होती थी।

ये शब्द हैं, लाखों दिलों पर राज करने वाली हरियाणा की डांसर, गायिका और एक्ट्रेस सपना चौधरी के।

सिर पर छत बनी रहे, पेट भर जाए इस मजबूरी में सपना ने बहुत कम उम्र में स्टेज को अपना करियर बना लिया। डांस, बेबाकपन और साहस के दम पर पहले हरियाणा में उम्र और लिंग से परे हर किसी की जुबान पर छाईं और वहां से देश के कोने-कोने तक पहुंचीं। ऐसी शोहरत हासिल की कि देश का कोई पब-डिस्क हो या शादियां, इनके गाने के बिना पूरी नहीं होती। ऐसी शोहरत कि इनके नाम पर लाखों की भीड़ एक जगह जमा हो जाती है। इस पॉपुलैरिटी को समय-समय पर कई नेताओं ने भुनाने की कोशिश भी की। लेकिन सपना ने इस शोहरत से पहले सालों का संघर्ष देखा। अपना बचपन खोया। नचनिया, दो पैसे जैसे ताने और भीड़ की गंदी और भूखी नजरों को सहा, तब जाकर कहीं हरियाणा की एक आम लड़की सपना चौधरी बनी।

आज की सक्सेस स्टोरी में सपना चौधरी बता रही हैं फर्श से अर्श तक का अपना सफर…पिता के निधन के बाद घर गिरवी रखना पड़ा

मेरा जन्म और परवरिश दिल्ली में हुई। मैं दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में पली-बढ़ी, जहां के कोने से ही हरियाणा का बॉर्डर लग जाता है। मेरी परवरिश पूरी तरीके से हरियाणवी माहौल में हुई। बचपन से रागनियां सुनीं। मां-पापा दोनों हरियाणवी बोलते थे। तो मैं कह सकती हूं कि हरियाणा को देख सुनकर पली-बढ़ी हूं। मैंने बाहरवीं तक की पढ़ाई की है। 12-13 साल की उम्र रही होगी, जब पिता गुजर गए। पिताजी के जाने का दर्द महसूस नहीं कर पाई क्योंकि उनके साथ मेरा बॉन्ड नहीं था। उनकी कमी बड़े होने पर महसूस हुई। उनके जाने के बाद घर में पैसे की तंगी शुरू हो गई। पापा के ट्रीटमेंट में मम्मी का सारा बना-बनाया बिजनेस चला गया था। घर गिरवी रख दिया गया था। मैं छोटी उम्र में घर से बाहर पैसे की तलाश में निकल गई। मेरे दिमाग में था कि इस घर को वापस लाना है। मेरे माता-पिता की उस घर से यादें जुड़ी थी। मेरी मम्मी ने मुझसे एक बात कही थी कि ये घर बचा लो। अगर बच गया तो मैं भी बच जाऊंगी। मेरा पहला टारगेट ही घर बचाना और भाई-बहन की परवरिश करना था।

कोई भी मुझसे जब पूछता है कि बचपन कैसा था मैं कहती हूं कि मुझे पता ही नहीं कि बचपन होता कैसा है। खिलौना, दोस्त बनाना, पढ़ाई करना, बाहर घूमना…ये सब मैंने किया ही नहीं। मैंने बहुत छोटी सी उम्र से काम करना शुरू कर दिया था। मेरे पास बचपन की खास मीठी यादें नहीं हैं। बचपन ही नहीं था तो बचपन की याद कैसे बताऊं। भगवान ने मुझे बचपन नहीं दिया लेकिन उसके बदले बहुत कुछ दे दिया। बचपन मैंने नहीं जिया। मुझे लगता है कि मैं बच्ची कभी रही ही नहीं। मैं अभी ऐसी हूं, बचपन में भी ऐसी थी और यंग एज में भी ऐसी ही थी। मुझे लगता ही नहीं कि मैं छोटी से बड़ी हुई हूं। मैं हमेशा से बड़ी ही हूं।पत्थर पड़ने के डर से डांस करना शुरू किया था

एक बार की बात है कि मैं स्टेज पर रागनी गा रही थी। उस दिन डांसर नहीं आई थी। मेरे मेंटोर ने मुझसे कहा कि तुम्हें डांस करना पड़ेगा, वरना अब ऑडियंस पत्थर मारेगी। मैंने पहले मना कर दिया कि डांस नहीं करूंगी। फिर उन्होंने कहा तुम्हें मेरी इज्जत बचानी पड़ेगी। जब मैंने देखा कि मेरे पास कोई चारा नहीं बचा तो मैंने उनके सामने दो शर्तें रख दीं। पहला कि मैं सूट में ही डांस करूंगी और दूसरा कि हरियाणवी गाने पर परफॉर्म करूंगी। उस समय ऐसा होता था कि डांसर्स लहंगा पहनकर हिंदी गानों पर डांस करती थीं। मेरे मेंटोर मेरी शर्तों पर तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि तुम कुछ भी कर दो लेकिन करो। मैं स्टेज पर गई और परफॉर्म किया। वो परफॉर्मेंस हिट हो गई। इस तरह मैं पहली बार स्टेज पर नाची थी।

उस वक्त तक मेरा नाम किसी को पता ही नहीं था। लोगों ने मुझे गाने के नाम से ढूंढना शुरू कर दिया। वो कैसेट इतनी ज्यादा बिकी कि लोगों ने मेरा नाम ही ‘बारह टिक्कड़ वाली लड़की’ रख दिया था। लोग आयोजकों से डिमांड करने लगे कि उस ‘बारह टिक्कड़ वाली लड़की’ को बुलाओ। मेरे आने के बाद सबका पत्ता कट गया। ऐसे में धीरे-धीरे मेरी रागनी कम हो गई और डांस ज्यादा हो गया।

लड़कों ने फोटो मांगी तो पॉपुलैरिटी का एहसास हुआ

मैंने जो सफलता देखी है, उसके लिए बहुत मेहनत की है। अपने ही कमाए पैसों को पाने के लिए भी लंबी लड़ाई लड़ी है। मैं स्टेज पर सोलो गाती, डांस करती और फिर ड्यूट गाती थी। एक साथ तीन काम कर रही थी लेकिन पैसे कम मिलते थे। मैंने 8-9 महीने कैसेट के लिए काम किया, तब वहां बैकग्राउंड डांसर के तौर पर काम करती थी। लगातार 8-8 दिन काम करती थी, तब जाकर 1500 रुपए मिलते थे। 9 दिसंबर 2009 में मैंने जब अपना पहला स्टेज शो किया, तब मुझे दो शो के पांच हजार रुपए मिले थे। वो मेरी पहली बड़ी कमाई थी। वो मेरे लिए बहुत बड़ी रकम थी। मुझे लगता है कि अब मैं चाहे जितना कमा लूं लेकिन उस पांच हजार की खुशी आज भी उतनी ही महसूस करती हूं।मैं डांस और गाने का अपना काम चुपचाप कर रही थी, मुझे पता भी नहीं था कि मैं लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई हूं। इसका एहसास पहली बार मुझे तब हुआ, जब चार लड़कों ने मुझे फोटो के लिए टोका। वो किस्सा कुछ यूं है कि मैं नजफगढ़ में परफॉर्म करती थी। गांव से मेरी मां साथ आती थी। हमारे पास इतने पैसे नहीं होते थे कि रिक्शा करके जाएं और वापस आएं। ऐसे में मेरी मां जूस का लालच देती थी। वो कहती थी कि 20 रुपए रिक्शा में लगेंगे, अगर पैदल चलोगी तो इतने पैसे में मौसमी का जूस पी सकती हो। मैं भी जूस के लालच में पैदल जाती थी। एक बार मैं मां के साथ पैदल जा रही थी, तभी पीछे से चार लड़के आए। मुझे टोकते हुए कहा कि अरे आप तो सॉलिड बॉडी वाली लड़की हो। आप पैदल क्यों चल रही हैं? एक फोटो मिल सकती है? मुझे अपनी पॉपुलैरिटी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मुझे लग रहा था कि मेरे साथ ये हो क्या रहा है।

राजस्थान के एक गांव में कपड़े बदलने की जगह नहीं दी गई

मेरे जीवन में कई अच्छे-बुरे पल आए हैं और आगे भी आएंगे। लेकिन राजस्थान के एक गांव से जुड़ा किस्सा है, जिसने मुझे अच्छा-बुरा दोनों का एहसास कराया। पहले शो के लिए हम लोग घर से तैयार होकर नहीं जाते थे। वेन्यू पर पहुंचकर वहीं किसी के घर में तैयार होते थे। लेकिन उस शो के लिए जब हम उस गांव पहुंचे और जगह मांगी तो हमें नहीं दी गई। एक महिला ने अपनी राजस्थानी भाषा में कहा कि ऐसी नाचने-गाने वाली को हम अपने कमरे में नहीं बिठाते। इनको बोलो जाकर तबेले में तैयार हो जाए। मैं और बाकी लड़कियां रोते-रोते जाकर तबेले में तैयार हुईं। मन में चल रहा था कि हम ऐसा क्या कर रहे हैं कि कोई हमें कमरे में नहीं बिठा सकता। मेरी मां उस वक्त भी मेरे साथ थी। उसने कहा इसमें रोने की क्या बात है। ये भी जगह ही है, इसमें तैयार हो जाओ। मैं रेडी होकर स्टेज पर गई लेकिन दिल से परफॉर्म नहीं कर पाई।

फिर दो साल बाद उसी गांव में दोबारा परफॉर्मेंस के लिए जाना हुआ। मैं शो करने बहुत टूटे मन से गई थी। मैं शो के लिए दो घंटे लेट पहुंची थी। जैसे ही मैंने स्टेज पर कदम रखा, वहां मौजूद पूरी पब्लिक ने खड़े होकर दस मिनट तक तालियां बजाईं। वो नजारा देख, मेरा उस गांव से जुड़ा सारा गम चला गया। वो मेरे जीवन का सबसे अद्भुत पल है।

राजस्थान में एक महिला मंत्री ने स्टेज पर बेइज्जती की

इलेक्शन का समय था। एक महिला मंत्री ने मुझे अपनी रैली में बुलाया था। मैं जब स्टेज पर पहुंची तो भीड़ मेरा नाम लेकर चीयर करने लगी। जब महिला मंत्री का भाषण का समय आया, तब भी भीड़ मेरा ही नाम ले रही थी। भीड़ चिल्लाने लगी कि सपना को बुलाओ। ये बात उन्हें बुरी लग गई और भीड़ को डपटते हुए मेरे लिए बुरे लहजे में बात की। उन्होंने कहा कि क्या सपना-सपना लगा रखा है। इसका क्या, ये तो अभी चली जाएगी। मुझे यहीं रहना है और तुम्हारे लिए मैं ही काम करूंगी। मुझे ये बात बुरी लग गई। मुझे लगा कि जब इनको भीड़ जुटानी थी तो इन्होंने मुझे बुला लिया और अब बेइज्जती कर रही हैं। मैंने भी माइक लिया और भीड़ से कहा कि इन्हें आपके लिए काम करना है, आप इनसे काम करवाओ। फिर अपनी गाड़ी में बैठी और वहां से चल दी।

सपना बॉलीवुड फिल्म 'वीरे की वेडिंग' में हट जा ताऊ आइटम गाना कर चुकी हैं।

सपना बॉलीवुड फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ में हट जा ताऊ आइटम गाना कर चुकी हैं।

गालियों और तानों की वजह से सुसाइड की कोशिश की

मैंने स्टेज पर रागनी से ही अपनी शुरुआत की थी। साल 2016 में मैंने एक रागनी गाई थी। वो 36 जात की रागनी थी। मेरे से पहले भी बहुत आर्टिस्टों ने उस गाने को गाया था लेकिन मेरे ऊपर एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज हो गया। मुझे पर आरोप लगा कि मैंने शेड्यूल कास्ट को गाली दी है। जबकि वो गाना किसी बड़े आर्टिस्ट ने गाया था लेकिन तब किसी ने ध्यान नहीं दिया।

मैं बहुत कम पढ़ी-लिखी हूं। मुझे कानून की समझ नहीं थी। हम आर्टिस्टों की कोई जात नहीं होती है, तो मैं भी जाति-धर्म से ऊपर सोचती थी। मेरा कोई ऐसा इरादा नहीं था। मैंने उस गाने को गाने के लिए जगह-जगह माफी भी मांगी थी। फिर भी मुझे टारगेट किया जाने लगा। मैंने अपने लिए लोगों को गंदा बोलते देखा। उससे भी ज्यादा बुरा ये लगा कि मेरी मां मदद के लिए जहां-जहां गई, लोगों ने उसका मजाक उड़ाया। अपनी मां को देख मैं बहुत परेशान हो गई।

किसी ने मेरे नाम से एक इश्तिहार छपवा कर वायरल कर दिया, जिसमें मैं खुद के लिए ही गंदी-गंदी बात कर रही थी। लोगों ने मुझे और मेरे परिवार को इतना ज्यादा मेंटली टॉर्चर किया कि मैं टूट गई। मैं वो सारी चीजें संभाल नहीं पाई। जिस जनता ने मुझे सिर-आंखों पर बैठाया, उसी ने ऐसा माहौल बना दिया कि मैंने अपनी जान लेने की कोशिश की।

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Bindesh Yadav
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