हड़ताल पर डॉक्टर और इंटर्न… भटकते रहे मरीज, आगे क्या हुआ?

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी और हत्या के विरोध में बुधवार को मेडिकल कॉलेज में दूसरे दिन भी आंदोलन जारी रहा। डॉक्टरों और इंटर्न ने अपने कामकाज को छोड़कर हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया। ओपेक चिकित्सालय कैली में धरना-प्रदर्शन भी हुआ, जिससे ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गईं। मरीजों का पर्चा बनना बंद हो गया और 35 बेड की इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह से भर गई। मरीज और उनके तीमारदार इधर-उधर भटकते रहे। हालांकि, दोपहर दो बजे के बाद डॉक्टर काम पर लौट आए।

ओपीडी में नहीं बना पर्चा, इमरजेंसी वार्ड हो गया फुल

रेजीडेंट डॉक्टर और इंटर्न बुधवार सुबह करीब नौ बजे अस्पताल के बाहर इकट्ठा हो गए। हाथों में “दरिंदों को सजा दो” और “जस्टिस फॉर वुमन डॉक्टर” जैसे पोस्टर लहराते हुए नारेबाजी की। इसके बाद सभी चिकित्सक धरने पर बैठ गए। डॉक्टरों की हड़ताल से मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य सेवाएं दो दिन से बुरी तरह प्रभावित हो गईं। ओपीडी सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं और दूर-दराज से आए मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

मरीजों की दुर्दशा : भटकते रहे तीमारदार

दूर-दराज से आए मरीजों ने जानकारी के अभाव में ओपीडी के बाहर डॉक्टरों के आने का इंतजार किया। लेकिन उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। कई मरीज अपने पुराने पर्चे के साथ डॉक्टर से मिलने के लिए इधर-उधर भटकते नजर आए। मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन एक से डेढ़ हजार मरीज आते हैं, जिनमें से अधिकांश का इलाज ओपीडी में होता है। हड़ताल के कारण इन मरीजों को उचित परामर्श नहीं मिल पा रहा है।

इमरजेंसी वार्ड में जुगाड़ : मरीजों की भीड़

ओपीडी सेवाएं ठप होने से मरीज इमरजेंसी में भर्ती होने के लिए तीमारदारों के साथ जुगाड़ लगाते नजर आए। कई लोगों ने सीएमएस और जनप्रतिनिधियों से भी संपर्क किया, लेकिन डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो सके। इमरजेंसी के रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्चा बनवाने के लिए मरीजों की भीड़ लगी रही। 35 बेड की इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह से भर चुकी है, और एक-एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है।

मरीजों ने बताई अपनी परेशानी

डुमरियागंज से आई सरिता ने बताया कि पेट दर्द से वह परेशान हैं, लेकिन हड़ताल के कारण कोई डॉक्टर नहीं मिला। कप्तानगंज से आए आशू ने बताया कि उन्हें पेट दर्द की शिकायत थी, लेकिन मेडिसिन विभाग बंद था, इसलिए अब उन्हें दूसरे अस्पताल में जाना पड़ेगा। लालगंज की सुनीता कमर दर्द से पीड़ित हैं और ओझागंज के कृष्ण कुमार मानसिक विभाग में परामर्श के लिए आए थे, लेकिन डॉक्टर नहीं मिले।

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चिकित्सकों ने प्रधानाचार्य से मांगी सुरक्षा, सौंपा ज्ञापन

डॉ. रजत पांडेय, डॉ. श्याम गुप्ता, डॉ. राहुल गुप्ता, डॉ. सौरभजीत, डॉ. अजीत मौर्या, डॉ. आर्य मान सिंह, डॉ. अंजली पांंडेय, और डॉ. श्वेता श्रीवास्तव ने मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को आठ सूत्री ज्ञापन सौंपकर सुरक्षा की मांग की। उन्होंने प्रत्येक वार्ड में डॉक्टरों के लिए एक अलग चिकित्सक कक्ष, अस्पताल परिसर में सीसीटीवी कैमरे और गार्ड की व्यवस्था, इंटर्न और रेजीडेंट डॉक्टरों के लिए हॉस्टल की सुविधा, और महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षित आवागमन की व्यवस्था की मांग की।

जिला और महिला अस्पताल पर बढ़ा मरीजों का भार

मेडिकल कॉलेज में हड़ताल के कारण जिला अस्पताल और महिला अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गई। जिला अस्पताल में अधिकांश चिकित्सकों के कक्ष के बाहर लंबी लाइनें देखी गईं। दिन में एक बजे तक 500 से अधिक मरीजों का पर्चा बन चुका था। वहीं, महिला अस्पताल में भी महिला मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा रही, जिससे चिकित्सकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा।

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