बस्ती में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम शिवचंद की अदालत ने एक हत्या और जान से मारने की नियत के मामले में तीन आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। यह मामला सोनहा क्षेत्र के भानपुर बाजार से जुड़ा है और घटना 2012 की है।
घटना का विवरण

कुशीनगर जनपद के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के पचफेड़ा गांव निवासी पवन कुमार शाही ने 28 जुलाई 2012 को सोनहा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। पवन ने बताया कि वह भानपुर बाजार स्थित शत्रुजीत कनौजिया पेट्रोल पंप के मालिक के लाॅन में अपने किराये के मकान में सो रहा था। रात करीब 1:30 बजे अचानक किसी अज्ञात व्यक्ति ने जान से मारने की नियत से चहारदीवारी के दरवाजे से घुसकर गड़ासे से उसके चाचा विवेकानंद सिंह पर हमला कर दिया।
विवेकानंद की मौत
हमले में विवेकानंद घायल हो गए, जिसके बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर किया, लेकिन मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने के दो घंटे बाद उनकी मृत्यु हो गई।
पुलिस की जांच और आरोप
पुलिस ने विवेकानंद के हमले के आधार पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया। विवेचना के दौरान पुलिस ने कृष्ण गोपाल जायसवाल, अब्दुल और शकील को आरोपी बनाया। इन तीनों के खिलाफ जानलेवा हमला और हत्या के आरोप में कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया गया।
बचाव पक्ष का तर्क
राज्य की ओर से इस मामले में आठ गवाहों के बयान दिए गए। जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने तर्क दिया कि तीनों आरोपियों को गलत तरीके से फंसाया गया है और मृतक का इन तीनों से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी।
अदालत का निर्णय
अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद और सबूतों का मूल्यांकन करने के बाद तीनों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए उन पर लगाए गए आरोपों से दोष मुक्त कर दिया। इस निर्णय से आरोपियों में राहत की लहर दौड़ गई, जबकि मृतक के परिवार में गहरे शोक का माहौल है।
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