वाराणसी:- शालिनी यादव ने अपने राजनीतिक सफर में काफी रूपांतरण किए हैं, जिसमें वह कांग्रेस से सपा और फिर सपा से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुकी हैं। उन्होंने 2017 में वाराणसी में मेयर के चुनाव में भाग लिया था और उन्हें 113345 वोट मिले थे, जिससे वह दूसरे स्थान पर रही थीं।
इसके बाद, 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ सपा के टिकट से चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन बाद में उन्होंने यह निर्णय बदलकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। यह निर्णय समाजवादी पार्टी के लिए वाराणसी में बड़ा झटका बना, जिससे मिशन 2024 की तैयारियों में उनके समर्थनकर्ताओं के बीच संशय उत्पन्न हुआ।
ससुर से विरासत में मिली राजनीति:-
वाराणसी के विकराल युद्धभूमि में चमकी ‘फैशन क्वीन’ शालिनी यादव, पीएम मोदी के खिलाफ दो लाख मत प्राप्त कर, दूसरे स्थान पर तिकड़ी बनीं। विरासत में मिली राजनीति ने किया सफल, श्याम लाल यादव के साथ पली बड़ी तालमेल।इस वाक्य में शालिनी यादव की रूपरेखा को ‘फैशन क्वीन’ के रूप में उभारता है, जो उनके पेशे को रंगीनता से भर देता है।
उनके विरासत में मिली राजनीति के सफलतापूर्वक परिणामस्वरूप उन्होंने विकराल युद्धभूमि वाराणसी में दूसरे स्थान पर अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की। साथ ही, उनके ससुर, श्याम लाल यादव के साथ एक नई संबंध बढ़ने का भी उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही, शब्दों का समूह “विकराल युद्धभूमि,” “फैशन क्वीन,” और “विरासत में मिली राजनीति” के साथ इस वाक्य को बेहद अलगदार और सर्वाधिक दिलचस्प बनाता है।