
भोपाल/मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रेलवे ओवरब्रिज निर्माण में लापरवाही और अव्यवस्था की एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जिसे देखकर भारतेंदु हरिश्चंद्र का व्यंग्यात्मक नाटक “अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा…” पूरी तरह चरितार्थ होता दिखता है। रेलवे और पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) के संयुक्त तत्वावधान में बनाए जा रहे एक ओवरब्रिज में इंजीनियरों और ठेकेदारों की घोर लापरवाही के चलते ब्रिज का मोड़ सीधा 90 डिग्री पर बना दिया गया। यह मोड़ न सिर्फ ट्रैफिक के लिए असुविधाजनक है, बल्कि गंभीर दुर्घटनाओं की आशंका भी उत्पन्न करता है।
घटना का विवरण
यह ओवरब्रिज भोपाल के एक व्यस्त इलाके में बन रहा है और इसका उद्देश्य रेल लाइन पार करने वाले वाहनों को जाम से राहत देना था। लेकिन इसके निर्माण में तकनीकी निरीक्षण की अनदेखी, लापरवाही और आपसी तालमेल की कमी के कारण पुल के एक हिस्से में सीधा 90 डिग्री का मोड़ बना दिया गया। यह मोड़ न तो इंजीनियरिंग के मानकों के अनुरूप है, न ही यातायात के लिहाज से सुरक्षित।
प्रशासनिक कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही राज्य सरकार ने तत्काल जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक जांच में निर्माण में गंभीर खामियां पाए जाने के बाद 7 इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित अधिकारियों में पीडब्ल्यूडी और रेलवे दोनों विभागों के इंजीनियर शामिल हैं।
विशेषज्ञों की राय
इंजीनियरिंग विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी ओवरब्रिज में 90 डिग्री का तीखा मोड़ बनाना न केवल डिजाइन में गलती है, बल्कि यह बुनियादी ट्रैफिक सेफ्टी मापदंडों के भी खिलाफ है। इस तरह के मोड़ पर वाहन असंतुलित हो सकते हैं और दुर्घटनाओं की आशंका अत्यधिक बढ़ जाती है।
जनता में रोष
स्थानीय लोगों ने इस अव्यवस्था पर नाराज़गी जताई है। सोशल मीडिया पर इस मामले की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। कई यूजर्स ने व्यंग्य करते हुए इसे “आधुनिक अंधेर नगरी” करार दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि यह घटना भारतीय प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेही और गुणवत्ता नियंत्रण की गंभीर कमी को उजागर करती है। जिस प्रकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने नाटक में “चौपट राजा” के शासन की पोल खोली थी, उसी प्रकार यह मामला भी आज के व्यवस्था के भीतर बैठे चौपट योजनाकारों और निरीक्षण तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
यह आवश्यक है कि केवल निलंबन से आगे बढ़ते हुए पूरे सिस्टम की जवाबदेही तय की जाए और भविष्य में इस तरह की ‘90 डिग्री भूलों’ को रोका जाए, ताकि जनहित सुरक्षित रह सके।