नई दिल्ली, 9 अप्रैल 2025:
भारत के लोकतंत्र, संविधान और बहुजन समाज के मौलिक एवं संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आज देशभर में एक संगठित और ऐतिहासिक “राष्ट्रव्यापी जेलभरो आंदोलन” आयोजित किया गया। यह आंदोलन भारत मुक्ति मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, राष्ट्रीय परिवर्तन मोर्चा सहित देशभर के हजारों सामाजिक संगठनों के संयुक्त नेतृत्व में किया गया।
इस आंदोलन का नेतृत्व मा. वामन मेश्राम (राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत मुक्ति मोर्चा) और मा. चौधरी विकास पटेल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा) कर रहे हैं। यह आंदोलन भारत के करीब 500 जिलों में एक साथ आयोजित किया गया, जिसमें लाखों बहुजन समाज के नागरिकों ने भाग लिया।
आंदोलन के प्रमुख मुद्दे:
1. लोकतंत्र की रक्षा और EVM हटाने की मांग:
आंदोलनकारियों ने भारत की चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता की मांग करते हुए EVM मशीनों के इस्तेमाल को बंद कर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की। उनका आरोप है कि EVM प्रणाली 3.5% शासक वर्ग के हाथों में सत्ता केंद्रित करने का उपकरण बन चुकी है।
2. जातिगत जनगणना की मांग:
केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी की जाति आधारित जनगणना से इनकार को संविधान विरोधी करार देते हुए आंदोलन में यह मांग की गई कि पिछड़े वर्गों के हक के लिए उन्हें उनकी वास्तविक संख्या के अनुसार योजनाओं और आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
3. बहुजन महापुरुषों के अपमान का विरोध:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. बाबासाहब अंबेडकर पर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी का विरोध करते हुए उनके तत्काल इस्तीफे की मांग की गई। प्रदर्शनकारियों ने RSS और भाजपा पर बहुजन महापुरुषों की अवमानना का आरोप लगाया।
4. महाबोधि महाविहार की मुक्ति:
बोधगया स्थित महाबोधि महाविहार को बौद्ध अनुयायियों को सौंपे जाने की मांग को लेकर भी आंदोलन किया गया। आंदोलनकारियों ने कहा कि यह स्थल बहुजन समाज की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर है, जिस पर बाहरी नियंत्रण अनुचित है।
5. वक्फ संशोधन विधेयक-2025 का विरोध:
वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण स्थापित करने वाले इस विधेयक को आंदोलनकारियों ने असंवैधानिक बताया और इसे तुरंत रद्द करने की मांग की।
6. स्थानीय बहुजन मुद्दों को उठाया गया:
हर जिले, तहसील और गांव में बहुजन समाज के साथ हो रहे अन्याय, भेदभाव और दमन के मुद्दों को भी इस आंदोलन में जोरशोर से उठाया गया।
मीडिया से अपील:
आंदोलनकारियों ने सभी मीडिया संस्थानों से निष्पक्ष और निर्भीक कवरेज की अपील की है। उन्होंने कहा, *“यह आंदोलन संविधान की रक्षा, सामाजिक न्याय की पुनर्स्थापना और लोकतंत्र को जीवित रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। हमें इस आंदोलन को मौन नहीं, आवाज़ की जरूरत है। लोकतंत्र तभी बचेगा जब सच्चाई की आवाज़ जन-जन तक पहुँचेगी।”*
इस जनआंदोलन ने यह संदेश दिया कि देश के मूल अधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय की बहाली के लिए जनता आज भी संगठित होकर आवाज़ उठाने को तैयार है। यह आंदोलन केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक भविष्य को बचाने की चेतावनी है।