सिंगर और रैपर हनी सिंह के नए गाने ‘मैनिएक’ के बोल को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा ‘भोजपुरी अश्लीलता’ शब्द के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई और स्पष्ट किया कि अश्लीलता का कोई धर्म या क्षेत्र नहीं होता।
अदालत की नाराजगी
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सख्त लहजे में पूछा, “यह भोजपुरी अश्लीलता क्या है? अश्लीलता तो अश्लीलता होती है, इसका किसी भाषा या क्षेत्र से कोई संबंध नहीं।” पीठ ने आगे कहा, “कल आप कहेंगे कि दिल्ली अश्लील है।”
क्या थी याचिका?
याचिकाकर्ता ने हनी सिंह के गाने ‘मैनिएक’ के कुछ बोलों में संशोधन की मांग की थी। उनका तर्क था कि इस गाने में इस्तेमाल किए गए शब्द अनुचित और समाज में गलत संदेश फैलाने वाले हैं। लेकिन अदालत ने इस याचिका को विचारणीय नहीं माना और इसे खारिज कर दिया।
भोजपुरी भाषा पर टिप्पणी से असहमति
अदालत ने स्पष्ट किया कि भोजपुरी एक सम्मानित भाषा है और इसे किसी भी रूप में अश्लील बताना अनुचित है। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि किसी भी भाषा को इस प्रकार वर्गीकृत करना गलत है। न्यायालय ने यह भी दोहराया कि अश्लीलता किसी भाषा या संस्कृति से नहीं जुड़ी होती, बल्कि यह एक सार्वभौमिक मुद्दा है।
गाने और कलाकारों पर लगातार याचिकाएं

यह पहली बार नहीं है जब हनी सिंह के गानों पर आपत्ति जताई गई हो। पहले भी उनके गीतों को लेकर कई बार विवाद हुए हैं। अदालत की इस सख्त टिप्पणी से यह संदेश जाता है कि संगीत, भाषा और संस्कृति को एक विशेष नजरिए से देखना उचित नहीं।
निष्कर्ष
दिल्ली हाईकोर्ट की यह टिप्पणी एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि किसी भी भाषा को अश्लीलता से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। साथ ही, यह भी स्पष्ट होता है कि कोर्ट इस तरह की याचिकाओं को गंभीरता से लेने के बजाय व्यापक दृष्टिकोण से देखने की सलाह देता है।