परिषदीय विद्यालयों के मर्जर पर उठ रहे लगातार सवाल, ग्रामीण इलाकों में अभिभावकों और शिक्षकों की बढ़ी चिंता

विद्यालय की दूरी और सुरक्षा बना बड़ा मुद्दा

शिक्षकों में असमंजस और असंतोष की स्थिति

 बस्ती संवाददाता - उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों के मर्जर (एकीकरण) की योजना जहां एक ओर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर इस कदम के खिलाफ विरोध के स्वर भी तेज़ हो रहे हैं। खासकर ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में अभिभावकों और शिक्षकों की चिंताएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। ग्रामीण इलाकों में छोटे-छोटे विद्यालयों को बंद कर उन्हें अन्य स्कूलों में मर्ज किया जा रहा है, जिससे छात्रों को अब 2 से 5 किमी तक पैदल जाना पड़ सकता है। अभिभावकों का कहना है कि छोटी कक्षाओं के बच्चों के लिए इतनी दूरी तय करना न केवल असुरक्षित है, बल्कि शारीरिक रूप से थकाऊ भी है। कई क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है, जिससे माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने में संकोच कर रहे हैं। विद्यालयों के मर्जर के चलते कई शिक्षकों का स्थानांतरण दूरस्थ विद्यालयों में कर दिया जाएगा, जिससे उन्हें आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। शिक्षकों का कहना है कि जब तक आधारभूत ढांचे जैसे सड़क, परिवहन और विद्यालयों में पर्याप्त कमरे, शौचालय और बिजली जैसी सुविधाएं नहीं सुधारी जातीं, तब तक इस तरह का एकीकरण शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। ज्यादातर पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी इस नीति पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह योजना ‘नज़दीकी स्कूल सबके लिए’ जैसी मूल अवधारणा के विरुद्ध है। कुछ मामलों में तो ऐसा भी देखा गया है कि भौतिक रूप से सुसज्जित विद्यालयों को सिर्फ कम छात्रसंख्या के आधार पर बंद कर दिया गया, जबकि वही स्कूल बच्चों के लिए सुलभ और सुचारु रूप से संचालित हो रहा था।

प्रदेश सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उठाया गया है, जिसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों के बेहतर समेकन के माध्यम से प्रभावी संचालन है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मर्ज किए गए स्कूलों में शिक्षकों, स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय और कंप्यूटर जैसी सुविधाओं को बेहतर किया जा रहा है। साथ ही कुछ क्षेत्रों में छात्रों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए परिवहन सुविधा की व्यवस्था की जा रही है।
हालांकि, ज़मीनी हकीकत अभी भी कई सवाल खड़े कर रही है। जब तक मर्जर के साथ आवश्यक सुविधाओं और सुरक्षा का समुचित प्रबंध नहीं होता, तब तक यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के लिए शिक्षा की राह में बाधा बनता दिखाई दे रहा है।

संवाददाता कर्मचन्द्र यादव
मो – 9565237687

Bindesh Yadav
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