ओडिशा के आदिवासी बाहुल्य मयूरभंज जिले में एक अजीबोगरीब और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक बुजुर्ग की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया। जहां अंतिम संस्कार में हंडिया (चावल से बनी पारंपरिक शराब) नहीं परोसा गया। इस बात से नाराज गांव वालों ने परिवार को बहिष्कृत कर दिया है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि गांव वाले उन्हें तालाब या कुएं से पानी नहीं लेने दे रहे। इसके अलावा दुकान से राशन नहीं लेने दिया जा रहा और गांव में कोई भी उनसे बात तक करने को तैयार नहीं है। पीड़ित परिवार ने इस मामले में पुलिस से शिकायत की है, जिसके बाद पुलिस ने दो दिन के भीतर मामला सुलझाने या कानूनी कार्रवाई का सामने करने की चेतावनी दी है।
पीड़ित ने पुलिस से की शिकायत
दरअसल, पूरा मामला सरात थाना क्षेत्र के केसापाड़ा गांव का बताया जा रहा है। बीते दिनों गांव में संथाल समुदाय से आने वाले राम सोरेन की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनके बेटे ने अंतिम संस्कार किया। वहीं अंतिम संस्कार के भोज में उन्होंने पूरे गांव को बुलाया, लेकिन उन्होंने भोज के दौरान हंडिया (पारंपरिक शराब) नहीं परोसी, जिससे ग्रामीण नाराज हो गए। ग्रामीणों ने पूरे परिवार को गांव से बहिष्कृत कर दिया है, जिसमें पति-पत्नी और तीन बच्चे शामिल हैं। पीड़ित ने सरात थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई है।
गांव वाले हर जगह कर रहे बहिष्कार
शिकायत के अनुसार पीड़ित संग्राम और उनकी पत्नी को तालाबों, कुएं या ट्यूबवेल से पानी नहीं लेने दिया जा रहा है। इसके अलावा किराना दुकान से सामान नहीं दिया जा रहा। वहीं गांव का कोई भी व्यक्ति उनसे बात नहीं कर रहा। एक व्यक्ति ने उनसे बात करने की कोशिश की तो उस पर गांव वालों ने 2000 रुपये का जुर्माना भरने की चेतावनी दे दी। पीड़ित परिवार ने कहा, ‘‘ग्रामीण हमें काम भी नहीं देते, जिससे हमारा जीवन दयनीय हो गया है।’’ पीड़ित ने अपनी शिकायत में तीन लोगों का उल्लेख किया है, जिनपर उसके परिवार को बहिष्कृत करने का आरोप है।
शराब न परोसने की बताई वजह
वहीं भोज में ‘हंडिया’ न परोसने की वजह पूछने पर पीड़ित संग्राम ने कहा, ‘‘मेरे पिता को शराब की लत थी, जिसके कारण उनकी जल्दी मृत्यु हो गई। हमने आदिवासी परिवारों को शराब की लत के कारण बर्बाद होते देखा है। इसलिए, मैंने भोज में हंडिया न परोसने का फैसला किया।’’ संथाल समुदाय के एक पुजारी ने बताया, ‘‘हमारे यहां अंतिम संस्कार के दौरान दिवंगत व्यक्ति के साथ हंडिया रखने की परंपरा है, लेकिन सामुदायिक भोज में लोगों को हंडिया परोसने का कोई धार्मिक नियम नहीं है। यह सब मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। वे चाहें तो हंडिया परोस सकते हैं, लेकिन उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता।’’
पुलिस ने गांव वालों को दी चेतावनी
दरअसल, हंडिया आदिवासी समुदायों के बीच लोकप्रिय है, खासकर ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में। इस बीच, पुलिस थाने के प्रभारी रमाकांत पात्रा के नेतृत्व में एक टीम ने गांव का दौरा किया और ग्रामीणों के साथ मामले पर चर्चा की। थाना प्रभारी ने कहा, ‘‘हमने ग्रामीणों के साथ लंबी चर्चा की और उन्हें बताया कि वे किसी भी कारण से किसी भी परिवार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत नहीं कर सकते। पुलिस ने उन्हें मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए दो दिन का समय दिया है।’’ पात्रा ने कहा कि अगर मामले का हल गांव के स्तर पर समुदाय के सदस्यों के बीच नहीं होता है, तो पुलिस को कानूनी कार्रवाई करनी पड़ सकती है।
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