भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश ने हाल ही में वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर देश का नाम दुनियाभर में रोशन किया। इस जीत ने न केवल भारत को गौरवान्वित किया, बल्कि शतरंज की दुनिया में उनकी अलग पहचान भी बना दी। इस बड़ी उपलब्धि के लिए उन्हें ₹11 करोड़ रुपये की इनामी राशि मिली
2. इनाम पर टैक्स की बड़ी कटौती

जीत के इस जश्न के बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है—क्या खिलाड़ियों की मेहनत से जीती इनामी राशि पर इतना अधिक टैक्स लगाना उचित है? नियमों के अनुसार, गुकेश को अपनी इनामी राशि पर 42.5% टैक्स चुकाना होगा। इसका मतलब है कि ₹11 करोड़ में से लगभग ₹4.67 करोड़ रुपये सरकार को टैक्स के रूप में देने होंगे।
3. टैक्स नियम और वित्त मंत्री का पक्ष

वित्तीय कानूनों के अनुसार, इनाम के तौर पर मिलने वाली राशि भी इनकम टैक्स के दायरे में आती है। इसलिए गुकेश को यह रकम टैक्स के रूप में चुकानी होगी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या खिलाड़ियों के लिए विशेष टैक्स राहत की कोई व्यवस्था होनी चाहिए?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन यह बहस राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर तेज हो गई है।
4. सोशल मीडिया और एक्सपर्ट्स की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे पर बंटे हुए नजर आ रहे हैं। कुछ लोग सरकार के नियमों का समर्थन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि टैक्स का नियम सभी पर लागू होता है, चाहे वो खिलाड़ी हों या किसी अन्य क्षेत्र के लोग।
वहीं दूसरी ओर, कई लोगों का मानना है कि खिलाड़ियों की मेहनत और उनके टैलेंट को प्रोत्साहित करने के लिए इनामी राशि पर टैक्स में छूट मिलनी चाहिए।
5. सवाल और बहस: क्या खिलाड़ियों को टैक्स राहत मिलनी चाहिए?
यह मुद्दा सिर्फ गुकेश तक सीमित नहीं है। यह उन सभी खिलाड़ियों और कलाकारों से जुड़ा सवाल है, जो अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष के बल पर देश का नाम ऊंचा करते हैं। क्या सरकार को ऐसे चैंपियंस के लिए विशेष टैक्स छूट की नीति बनानी चाहिए?
6. निष्कर्ष: आपकी राय क्या है?
यह बहस अब जनमत का हिस्सा बन चुकी है। क्या यह टैक्स नियम उचित है या इसे बदलने की जरूरत है?
आपका इस मुद्दे पर क्या कहना है? क्या खिलाड़ियों को टैक्स में राहत दी जानी चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में साझा करें।