उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर की अगुवाई में मस्जिद का सर्वे कराने के लिए एक टीम रविवार सुबह करीब 7 बजे मस्जिद परिसर पहुंची। इस दौरान वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब स्थानीय कोर्ट ने शाही जामा मस्जिद का सर्वे कराने का निर्देश दिया। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, एडवोकेट कमिश्नर के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। सर्वे का उद्देश्य मस्जिद से जुड़े तथ्यों और ऐतिहासिक संदर्भों का अध्ययन करना था।
सर्वे का उद्देश्य और विवाद की वजह
शाही जामा मस्जिद के इतिहास और धार्मिक संरचना को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। कुछ पक्षों का दावा है कि मस्जिद के स्थान पर पहले कोई अन्य धार्मिक स्थल था, जबकि अन्य इसे निराधार बताते हैं। कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया।
पुलिस की कार्रवाई और बढ़ता तनाव.
सर्वे के दौरान स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भारी सुरक्षा का प्रबंध करना पड़ा। इस दौरान मस्जिद के आसपास बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन घटनास्थल पर तनाव बढ़ता गया।
प्रभाव और आगे की राह
यह घटनाक्रम न केवल संभल बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। स्थानीय निवासियों और धार्मिक संगठनों ने इस सर्वे के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। वहीं, प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि सर्वे कोर्ट के आदेश के तहत ही किया जा रहा है।
क्या होगा आगे?
सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जाएगी, जिसके बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। इस विवाद का निपटारा कानूनी प्रक्रिया के जरिए होगा या इसे लेकर और भी विवाद बढ़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।
संभल की जामा मस्जिद विवाद ने एक बार फिर धार्मिक और कानूनी मामलों के बीच संतुलन की जरूरत को उजागर किया है। अब यह देखना अहम होगा कि कोर्ट और प्रशासन इस मुद्दे को कैसे संभालते हैं।