आशा वर्करों ने सरकार पर समस्याओं को नजरअंदाज करने का लगाया आरोप !

सिद्धार्थनगर जिले में सोमवार को आशा वर्कर्स और संगिनी वर्कर्स ने भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले अपनी मांगों के समर्थन में कलक्ट्रेट परिसर में धरना-प्रदर्शन किया। इन वर्कर्स ने प्रधानमंत्री को संबोधित मांग पत्र प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा और मांगें पूरी न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

2. प्रदर्शन का उद्देश्य

इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य आशा वर्कर्स और आशा संगिनी वर्कर्स की समस्याओं को उजागर करना और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाना था। आशा वर्कर्स का मानदेय बढ़ाने, उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा देने और अन्य सुविधाओं की मांग की गई।

3. भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष का बयान

भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा कि आशा वर्कर्स और संगिनी वर्कर्स की समस्याओं को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये वर्कर्स लगातार कार्य करने के बावजूद खुद को उपेक्षित महसूस कर रही हैं और उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है।

4. आशा वर्कर्स की मुख्य मांगें

प्रदर्शन में आशा वर्कर्स ने अपनी कई प्रमुख मांगों को सामने रखा। इनमें निम्नलिखित प्रमुख मांगें शामिल थीं:

  • मानदेय बढ़ाने की मांग: आशा वर्कर्स के लिए न्यूनतम 18,000 रुपये प्रतिमाह और आशा संगिनी के लिए 24,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय सुनिश्चित किया जाए।
  • राज्य कर्मचारी का दर्जा: आशा वर्कर्स और आशा संगिनी वर्कर्स को राज्य कर्मचारी का दर्जा प्रदान किया जाए ताकि उन्हें उचित सुविधाएँ और सुरक्षा मिले।
  • कार्य दिवस बढ़ाने की मांग: आशा संगिनी वर्कर्स को महीने में 20 दिन के बजाय 30 दिन का कार्य दिया जाए ताकि वे अपनी सेवाओं के बदले पूरा वेतन प्राप्त कर सकें।
  • निशुल्क बीमा: आशा वर्कर्स के लिए निशुल्क बीमा की सुविधा प्रदान की जाए।
  • मुआवजा: दुर्घटना में मृत्यु होने पर 15 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।

5. आशा वर्कर्स की चुनौतियाँ

आशा वर्कर्स, जो कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाती हैं, अत्यधिक मेहनत के बावजूद अपेक्षित मानदेय और सुविधाओं से वंचित हैं। उनकी सेवाएँ गर्भवती महिलाओं की देखभाल से लेकर नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य तक फैली होती हैं, फिर भी उन्हें न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है।

6. प्रदर्शन में शामिल प्रमुख महिलाएं

इस प्रदर्शन में आशा वर्कर्स के साथ-साथ कई प्रमुख महिलाएं भी मौजूद रहीं, जिनमें दुर्गावती जायसवाल, संगीता यादव, छाया त्रिपाठी, इंद्रावती, अनीता, मधु, सुनीता आदि शामिल थीं। इन सभी ने अपनी मांगों को लेकर अपनी आवाज बुलंद की और सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील की।

7. आंदोलन की चेतावनी

आशा वर्कर्स ने मांगें पूरी न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे और भी बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगी। इससे सरकार पर दबाव बढ़ेगा और उनकी समस्याओं का समाधान जल्दी से जल्दी हो सकेगा।

8. मानदेय बढ़ाने की आवश्यकता

आशा वर्कर्स की मांगों में मानदेय बढ़ाने की प्रमुखता थी। वर्तमान में इनका मानदेय बहुत कम है, जिससे उनके जीवन-यापन में कठिनाइयाँ हो रही हैं। न्यूनतम 18,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय सुनिश्चित करना इनके जीवन को सुधारने और कार्य में और अधिक उत्साह लाने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

9. राज्य कर्मचारी का दर्जा क्यों जरूरी है

आशा वर्कर्स और संगिनी वर्कर्स को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलना उनके लिए कई महत्वपूर्ण सुविधाएँ सुनिश्चित करेगा। इससे उन्हें बीमा, पेंशन, स्वास्थ्य सेवाएँ और अन्य लाभ मिल सकेंगे, जो अभी तक उन्हें नहीं मिल पाए हैं। इसके साथ ही, यह उनका अधिकार भी है, क्योंकि वे स्वास्थ्य सेवाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

10. निशुल्क बीमा और मुआवजा योजना

आशा वर्कर्स के लिए निशुल्क बीमा और दुर्घटना में मृत्यु पर मुआवजा योजना लागू करना आवश्यक है। यह उन्हें कार्य के दौरान किसी भी दुर्घटना से सुरक्षा प्रदान करेगा और उनके परिवारों को आर्थिक संकट से बचाएगा।

11. सरकार से अपील

आशा वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर सरकार से अपील की है कि उन्हें शीघ्र से शीघ्र पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो वे अपने आंदोलन को और अधिक तेज करेंगी। इससे न केवल उनका संघर्ष जारी रहेगा, बल्कि सरकार पर भी दबाव बनेगा।

12. प्रदर्शन का परिणाम

प्रदर्शन के अंत में, आशा वर्कर्स ने प्रधानमंत्री को संबोधित मांग पत्र प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा। अब यह देखना होगा कि सरकार उनकी मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या उनकी समस्याओं का समाधान होता है या नहीं।

13. निष्कर्ष

आशा वर्कर्स और संगिनी वर्कर्स की समस्याओं और मांगों को लेकर किया गया यह प्रदर्शन उनके अधिकारों की प्राप्ति की दिशा में एक बड़ा कदम है। उनकी सेवाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और सरकार को चाहिए कि वे इनकी मांगों पर शीघ्र से शीघ्र ध्यान दें ताकि इनकी समस्याओं का समाधान हो सके और उन्हें उनके अधिकार मिलें।

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Bindesh Yadav
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