त्योहारों के मौसम में पूजन सामग्रियों की मांग में काफी इज़ाफा हो जाता है, खासकर घी और तेल की। बाजार में विभिन्न आकार के पैक में ब्रांडेड और लोकल उत्पाद आसानी से उपलब्ध हैं। लेकिन चिंता का विषय यह है कि इन सामग्रियों में बड़े पैमाने पर मिलावट की जा रही है। यह मिलावटी घी और तेल पूजा स्थल पर धुआं और कालिख उत्पन्न कर रहे हैं, जिससे घर और पूजा स्थल की आबोहवा प्रभावित हो रही है। साथ ही यह धुआं पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।
मिलावटी घी और तेल बेचने का धंधा

पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाले घी और तेल में मिलावटखोरी एक बड़ा व्यापार बन चुका है। त्योहारों के समय ये उत्पाद विशेष रूप से धंधेबाजों के लिए मुनाफे का साधन बन जाते हैं। बाजार में शुद्ध देशी घी और तिल के तेल के नाम पर मिलावटी उत्पाद बेचे जा रहे हैं। लोग इनका उपयोग शुद्ध मानकर घर ले आते हैं, लेकिन इस्तेमाल के बाद उन्हें पता चलता है कि इन सामग्रियों में मिलावट है।
शुद्धता के नाम पर मिलावटी पैक
शुद्ध देशी घी और तिल के तेल के नाम पर बाजार में 10 से 100 रुपये तक के छोटे पैक उपलब्ध हैं। तिल के तेल के नाम पर भी 200 से 900 ग्राम तक के पैक बेचे जा रहे हैं, जिनमें देवी-देवताओं की फोटो लगी होती है, जिससे ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके। मिलावटी घी और तेल का इस्तेमाल करने पर काला धुआं निकलता है, जो न केवल पूजा स्थल को गंदा करता है बल्कि सेहत पर भी बुरा असर डालता है।
बड़े शहरों से हो रही आपूर्ति
मिलावटी पूजन सामग्रियों की आपूर्ति बड़े शहरों से हो रही है। ब्रांडेड उत्पादों की आड़ में मिलावटी घी और तिल का तेल ट्रांसपोर्ट के जरिये छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। स्थानीय स्तर पर इसे बेचने वाले लोग इन उत्पादों का बाजार में वितरण कर रहे हैं। इसके साथ ही, इस धंधे में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी भी की जा रही है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
नमूने नहीं लिए जाने से बढ़ रहा कारोबार
खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग मिलावटी तिल के तेल और घी की जांच में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाता है। इस कारण इस धंधे में निरंतर वृद्धि हो रही है। बाजार में उपलब्ध इन उत्पादों के नमूने नहीं लिए जाते, जिसके चलते धंधेबाजों को खुली छूट मिल जाती है और वे मुनाफा कमा रहे हैं।
मिलावट से स्वास्थ्य पर प्रभाव
मिलावटी घी और तेल के इस्तेमाल से न केवल पूजा स्थल की सफाई प्रभावित हो रही है, बल्कि यह सेहत पर भी बुरा असर डाल रहा है। इन सामग्रियों के जलने से निकलने वाला धुआं श्वसन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और घर की हवा को भी प्रदूषित कर सकता है। यह समस्या खासकर ग्रामीण इलाकों में अधिक देखी जा रही है, जहां इन मिलावटी उत्पादों की खपत ज्यादा है।
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