महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है, और इसके साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों में नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में करने की होड़ लगी हुई है। इसी कड़ी में दिवंगत एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी ने अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी) में शामिल होकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। अजित पवार की एनसीपी जॉइन करने के बाद जीशान सिद्दीकी को बांद्रा ईस्ट से पार्टी का टिकट भी मिला है, जो चुनाव के लिहाज से अहम सीट मानी जाती है।
जीशान सिद्दीकी का राजनीतिक

सफर भी उनके पिता बाबा सिद्दीकी के नक्शेकदम पर है, जो लंबे समय तक एनसीपी के प्रमुख नेता रहे हैं। बाबा सिद्दीकी का इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ थी और स्थानीय लोगों के बीच वे बेहद लोकप्रिय थे। जीशान के एनसीपी में शामिल होने के बाद इस बात की उम्मीद है कि उनके पिता के समर्थक और वोट बैंक उन्हें समर्थन देंगे और बांद्रा ईस्ट में उनका राजनीतिक प्रभाव मजबूत होगा।
अजित पवार के नेतृत्व..
वाली एनसीपी में शामिल होना जीशान के लिए एक रणनीतिक कदम है। इस निर्णय से जीशान ने यह संकेत दिया है कि वे अजित पवार के नेतृत्व को समर्थन देना चाहते हैं, खासकर तब जब एनसीपी दो हिस्सों में बंट चुकी है। एक तरफ शरद पवार का धड़ा है, जो पार्टी के संस्थापक भी हैं, वहीं दूसरी तरफ अजित पवार का धड़ा है जिसने एनसीपी के नए रास्ते को अपनाया है। इस राजनीतिक फूट के बीच जीशान का अजित पवार का समर्थन करना आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
बांद्रा ईस्ट जैसी महत्वपूर्ण सीट
से टिकट मिलने के साथ जीशान के सामने एक बड़ी जिम्मेदारी है। बांद्रा ईस्ट, जहाँ पर बाबा सिद्दीकी का प्रभाव रहा है, जीशान के लिए भी एक राजनीतिक चुनौती है। यहां उन्हें अजित पवार के नेतृत्व में काम करने और अपनी खुद की पहचान बनाने का अवसर मिला है। जीशान ने अपनी एनसीपी जॉइनिंग के दौरान कहा कि वह अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का प्रयास करेंगे और पार्टी के प्रति वफादारी से काम करेंगे।
महाराष्ट्र चुनावों के माहौल
में जीशान का एनसीपी में शामिल होना और अजित पवार के धड़े का समर्थन करना पार्टी के लिए एक बड़ा संकेत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बांद्रा ईस्ट में इस फैसले का क्या असर पड़ता है और जीशान सिद्दीकी राजनीतिक मंच पर कैसे अपनी जगह बनाते हैं।
Basti News: “दुरुस्त कराने के लिए लौटाए गए 19 स्कूली वाहन, जानें क्या थी कमियां”