बस्ती में प्रशासनिक अनदेखी: फरियादियों की आवाज अर्दलियों तक सीमित

बस्ती। जिले में अधिकारियों का रवैया फरियादियों के लिए मुसीबत बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती और तमाम कोशिशों के बावजूद जिले के अधिकारी फरियादियों के फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं। अब हालात यह हो गए हैं कि अधिकारियों के अर्दली CUG फोन उठाकर पूछते हैं, “बताइए क्या काम है?” और उन्हीं के माध्यम से कार्यवाही करने की बात कह रहे हैं।

जिले में तैनात कई अधिकारियों का यह रवैया आम जनता के लिए भारी पड़ रहा है। जब फरियादी फोन करते हैं, तो अर्दली फोन उठाते हैं और कहते हैं, “साहब अभी व्यस्त हैं, बताइए क्या काम है।” अगर कोई सवाल पूछने की कोशिश करता है, तो साहब अर्दली से फोन कटवा देते हैं। यह स्थिति फरियादियों के लिए अत्यंत कष्टदायक हो गई है।

यह समस्या केवल जिले स्तर पर ही नहीं, बल्कि तहसील स्तर के कई अधिकारी भी CUG फोन रिसीव नहीं करते। चाहे मामला कितना भी गंभीर क्यों न हो, वे न तो फोन उठाते हैं और न ही बाद में कॉल बैक करते हैं। अब अर्दली ही साहब का काम कर रहे हैं और फरियादी अपनी परेशानियों को लेकर भटक रहे हैं।

फरियादियों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि प्रशासन का यह रवैया उनके लिए बेहद निराशाजनक है। उन्हें अधिकारियों तक अपनी बात पहुँचाने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति जिले में प्रशासनिक कार्यों की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़ा करती है और लोगों के बीच असंतोष बढ़ाती है।

इस गंभीर स्थिति के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। यह स्थिति जनता के बीच निराशा और अविश्वास पैदा कर रही है। जिले में प्रशासनिक अनदेखी के इस माहौल में फरियादियों की समस्याओं का समाधान कब और कैसे होगा, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।

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