अंग्रेजी नव वर्ष अवैज्ञानिक है जबकि भारतीय नव वैज्ञानिक और सार्वदेशिक है।


आज वर्तमान परिवेश में जब अंग्रेजों के साथ भारतीय भी नए वर्ष के स्वागत को तैयारी किए बैठे हैं और रात भर झूम झूम कर नाचने और मद्यपान की कोशिश में लगे हुए हैं।

ऐसे में ओमप्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती का कहना है की अंग्रेजी नव वर्ष अवैज्ञानिक है जबकि भारतीय नव वर्ष वैज्ञानिक और सार्वदेशिक है। यह दुनिया का सबसे पुराना पंचांग है। इसकी नकल करके पूरी दुनिया ने अपने-अपने कैलेंडर बनाये है परंतु भारतीय स्वयं अपनी गौरव गरिमा को भूल रहे हैं। वो तो ग्रेगोरियन कैलेंडर को ही सबसे सटीक कैलेंडर मान रहे हैं।

आर्य ने माना कि यह आर्य समाज और अन्य सनातनी संगठनों की लापरवाही है जिन्होंने स्वयं जानकार भी आमजनमानस को जगाने में निश्चय ही कोर कसर छोड़ी है।

बताया कि दुनिया में जब गैलीलियो ने कहा कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है तो उसे उसी के समुदाय ने फांसी पर लटका दिया लेकिन उससे हजारों वर्ष पूर्व बिना किसी कंप्यूटर और आधुनिक तकनीकी के हमारे ऋषियों ने पृथ्वी और सभी तारों नक्षत्रों के आधार पर अपना पंचांग तैयार कर दिया था जिसे आज भी पूरी दुनिया अपने समय का आधार मानती है।

आर्य समाज वेद और वैदिक कालगणना को ही मानता है और इसी के आधार पर ही नववर्ष मनाने की प्रेरणा देता आ रहा है। साधारण सी बात है कि जनवरी का नया वर्ष हुड़दंग से प्रारम्भ होकर चरित्रहीनता पर समाप्त होता है पर भारतीय नववर्ष प्रातः ईश वंदन से प्रारम्भ होकर अतिथि सत्कार तक चलता रहता है।

पर्यावरण भी सुगन्ध मकरंद से परिपूर्ण होकर नव धान्य एवं फूलों फलों से आच्छादित होता है ऐसे में पिण्ड और ब्रह्माण्ड में नवीनता का अनुभव होता है। उन्होंने सभी भारतीयों को अपने नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नव वर्ष मानने की अपील की है। इस दिन यज्ञ करने, दान करने तथा पकवान बनाने और खिलाने की परंपरा का निर्वहन करने का अनुरोध किया।


गरुण ध्वज पाण्डेय।

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