गृहमंत्री अमित शाह की विवादास्पद टिप्पणी के खिलाफ माकपा, भाकपा, सीटू और सहयोगी संगठनों ने किया संयुक्त विरोध प्रदर्शन

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जनवादी महिला समिति, सीटू, जनवादी नौजवान सभा, किसान सभा और खेत मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गृहमंत्री अमित शाह की विवादास्पद टिप्पणी के खिलाफ एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में हजारों लोगों ने भाग लिया, जो गृहमंत्री की टिप्पणी को अस्वीकार्य और अपमानजनक मानते हैं।

2. गृहमंत्री की विवादास्पद टिप्पणी
17 दिसंबर 2024 को संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि “बाबासाहेब का नाम लेना फैशन बन गया है और उनकी जगह भगवान का नाम लेना चाहिए।” बाम दलों ने इस बयान को करोड़ों लोगों के संघर्ष और भावनाओं का अपमान बताया। ये लोग जातिगत, लैंगिक, और अन्य प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और बाबासाहेब अंबेडकर से प्रेरणा लेते हैं।

3. समानता और न्याय के खिलाफ टिप्पणी


नेताओं ने कहा कि गृहमंत्री का बयान स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और सामाजिक न्याय के लिए किए जा रहे संघर्षों को नकारने जैसा है। यह संविधान में निहित अधिकारों और मूल्यों का सीधा उल्लंघन है। उनका बयान जनता को संविधान प्रदत्त अधिकारों से दूर कर धार्मिक आधार पर संतोष करने की सीख देता है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

4. देशव्यापी विरोध और माफी की मांग


गृहमंत्री की इस टिप्पणी के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए। लोग गृहमंत्री से माफी की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अब तक अपने बयान के लिए कोई माफी नहीं मांगी है। इसे लेकर जनता और संगठनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

5. नैतिकता और संवैधानिक पद की गरिमा
नेताओं का कहना है कि गृहमंत्री की इस टिप्पणी ने उनके संवैधानिक पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। उनका बयान न केवल संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि इससे समाज में असमानता और विभाजन को भी बढ़ावा मिलता है। इस आधार पर उनका पद पर बने रहना अनैतिक है।

6. राष्ट्रपति से बर्खास्तगी की मांग
बाम दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपील की है कि वे गृहमंत्री से इस्तीफा मांगें या उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें। उन्होंने कहा कि यदि गृहमंत्री अपने बयान के लिए माफी मांगने को तैयार नहीं हैं, तो उन्हें इस संवैधानिक पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

7. लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का आह्वान


विरोध प्रदर्शन के दौरान नेताओं ने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए जनता से जागरूक होने और ऐसे बयानों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संविधान में निहित स्वतंत्रता, समानता और न्याय के मूल्यों को संरक्षित रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

8. संघर्ष जारी रहेगा
बाम दलों और उनके समर्थकों ने स्पष्ट किया कि जब तक गृहमंत्री अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते और पद से इस्तीफा नहीं देते, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। इस आंदोलन को और अधिक व्यापक और सशक्त बनाने के लिए देशभर में प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।

निष्कर्ष

गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर बाम दलों का संयुक्त विरोध इस बात का प्रमाण है कि देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों के प्रति जनता और संगठन कितने सजग हैं। यह विरोध केवल एक बयान का नहीं, बल्कि समाज में समानता और न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग यह दर्शाती है कि संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों को अपने बयानों और कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए।

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