आयकर अधिकारियों को मिलेगा डिजिटल डेटा तक पहुंच का अधिकार, 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा नया नियम
नई दिल्ली, 8 मार्च 2025: भारत सरकार ने आयकर कानूनों में एक बड़ा बदलाव करते हुए आयकर अधिकारियों को व्यक्तियों के डिजिटल डेटा तक पहुंचने का अधिकार दे दिया है। 1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाले इस नए प्रावधान के तहत, अधिकारियों को सोशल मीडिया अकाउंट्स, ईमेल, बैंक खातों, ऑनलाइन निवेश और ट्रेडिंग खातों की जांच करने की अनुमति मिलेगी। यह कदम कर चोरी और अघोषित संपत्ति की जांच को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।
नए नियम के अनुसार, यदि आयकर अधिकारियों को किसी व्यक्ति के कर योग्य आय छिपाने, पैसे, सोना, गहने या अन्य संपत्ति जैसी अघोषित संपत्ति का संदेह होता है, तो वे डिजिटल एक्सेस को ओवरराइड कर सकेंगे। इससे पहले, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत अधिकारी केवल भौतिक संपत्ति और रिकॉर्ड की तलाशी और जब्ती कर सकते थे। इसमें ताले तोड़कर अघोषित संपत्ति या दस्तावेजों तक पहुंचना शामिल था।
हालांकि, नए आयकर बिल ने इन शक्तियों को “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” तक बढ़ा दिया है। अब अधिकारी मोबाइल फोन, कंप्यूटर सिस्टम और अन्य डिजिटल उपकरणों तक पहुंच सकेंगे। यदि उन्हें किसी छिपी हुई आय या संपत्ति का संदेह होता है, तो वे डिजिटल डेटा की जांच कर सकेंगे, जैसे वे भौतिक रिकॉर्ड की जांच करते हैं।
यह कदम डिजिटल युग में कर प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। सरकार का मानना है कि इससे वित्तीय गतिविधियों की सख्त निगरानी सुनिश्चित होगी और कर चोरी पर अंकुश लगेगा। हालांकि, इस नए प्रावधान को लेकर कुछ विशेषज्ञों ने निजता के अधिकार को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि डिजिटल डेटा तक पहुंच के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और निगरानी तंत्र होना चाहिए ताकि इसका दुरुपयोग न हो।
सरकार ने इस बदलाव को डिजिटल इकोनॉमी के बढ़ते प्रभाव और कर चोरी के नए तरीकों से निपटने के लिए जरूरी बताया है। यह कदम उस समय आया है जब देश में डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन निवेश में तेजी से वृद्धि हो रही है।