अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर स्वामी दयानन्द विद्यालय में बालिकाओं को संबोधित करते हुए ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि नारी अबला नहीं सबला है।
वह घर की रानी, कुल की गौरव, सहधर्मिणी आदि नामों से वेदों में वर्णित की गई है। वेदों ने उसे पुरुष के समान शिक्षा और सेवा आदि प्रत्येक क्षेत्र में स्थान दिया है लेकिन कालांतर में विश्व में फैले अधिकतर मत मजहबों की पुस्तकों में नारी को केवल उपयोग और मनोरंजन की वस्तु माना गया और पाश्चात्य सभ्यता की नकल ने समाज को और अंधा बना दिया है।
वर्तमान समय में स्त्रियों को कलंकित किया जा रहा है जिसका प्रभाव हमारे युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। ये बहुत ही निन्दनीय है कि नारी जिससे समस्त संसार सुन्दर लगता है उसे ही मनुष्य नीच निगाहों से देखते हैं।

इसका सबसे बड़ा कारण है वेद की आज्ञा को न मानकर कुरान, बाइबिल आदि के बातों को मानना जबकि प्राचीन-वैदिक काल में स्त्रियों का सम्मान किया जाता था। उस समय स्त्रियां विदुषी हुआ करती थीं; गार्गी, मैत्रेयी, सुलभा, वयुना, धारिणी आदि इसके उदाहरण हैं।
आज आजाद भारत में स्त्रियों को सारे अधिकार प्राप्त हैं जिसका लाभ उठाकर वे नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं पर अधिकतर पाश्चात्य देशों के अंधानुकरण और अज्ञानता वश अभी भी खुद को देवी मानने में खुशी नहीं महसूस करतीं बल्कि देह प्रदर्शन और भोग लिप्सा में खुद को भी बर्बाद कर रही हैं और अन्यों को भी घसीट रही हैं।

आर्य समाज हमेशा से ऐसी नारियों को जो अज्ञानता वश किसी तरह के दलदल में फंसी है और वापस सुधरना चाहती हैं उनके लिए वापसी का रास्ता खोलकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है। चाहे वह झुग्गियों में रहने वाली महिलाओं के रोजगार और शिक्षा की बात हो या अमीर और बिगड़ी युवतियों और महिलाओं को सुधारने की बात हो आर्य समाज और आर्य वीरांगना दल बिना किसी भेदभाव के उनके साथ खड़ा दिखाई दिया है।
उन्होंने बालिकाओं को बताया कि उन्हें रोजगार परक शिक्षा प्राप्त कर परिवार और समाज के लिए एक मजबूत स्तम्भ की भांति आगे आना चाहिए इसीलिए आर्य समाज उन्हें सैन्य शिक्षा देकर हमेशा सबल बनाने के लिए प्रयासरत रहता है। इस अवसर पर विद्यालय के बालिकाओं ने चित्रकला और क्राफ्ट का भी प्रदर्शन किया साथ ही गीत कविता और भाषण प्रस्तुत किए।
गरुण ध्वज पाण्डेय।