महर्षि दयानन्द ने लोगों को अंधकार से प्रकाश दिशा में आगे बढ़ाया, उनके विचारों से क्रांतिकारी हुए पैदा -ओम प्रकाश आर्य


फाल्गुन कृष्ण दशमी को गुजरात के मोरवी में टंकारा नामक गांव में जन्मे महर्षि दयानंद सरस्वती ने दुनिया के लोगों को वेदों की ओर लौटो का नारा ही नहीं दिया बल्कि बालक बालिकाओं के लिए अलग अलग गुरुकुल और डी ए वी विद्यालयों की एक लम्बी श्रृंखला खड़ी करके उसके अवसर भी उपलब्ध कराए।

उनके विचारों से प्रभावित होकर अनेक क्रांतिकारी देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दिए। यह बातें आर्य समाज नई बाजार बस्ती में आयोजित महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती के अवसर पर यज्ञ कराते हुए ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने कही।

उन्होंने बताया कि जब देश अंग्रेजों का अत्याचार चरम पर था तो उस समय वे निर्भीकता से स्वराज के लिए आमजनमानस को जगा रहे थे। उन्होंने लोगों को बताया कि अन्याय करना पाप है और सहना महापाप है उनके इस विचार से प्रभावित होकर अनेक क्रांतिकारी देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार हो गए।

इस अवसर पर अजीत कुमार पाण्डेय जिला प्रभारी आर्य वीर दल बस्ती ने बताया कि स्वामी जी ने गोरक्षा, विधवा विवाह, अनमेल बाल विवाह को रोकने और अंधविश्वास, जादू टोने, पाखण्ड मद्यपान आदि के उन्मूलन के लिए देश भर में घूम घूमकर प्रचार और शास्त्रार्थ कर लोगों को वेदों और वैदिक संस्कारों की ओर लौटने पर विवश कर दिया जिससे भारत का वास्तविक स्वरूप सूर्य बनकर प्रकाशमान हुआ। ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष में आर्य समाज दो सौ से अधिक आर्यवीरों को प्रशिक्षित करेगा और उन्हें ऋषि जीवनी और सत्यार्थ प्रकाश भी देगा जो देश के लिए एक आदर्श नागरिक सिद्ध होंगे। इसके अलावा वैदिक संस्कारों के प्रचार प्रसार के लिए जिले के पुरोहितों को दायित्व सौंपा गया है।

इस अवसर पर कार्यक्रम में सम्मिलित लोगों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए महर्षि दयानंद के विचारों का भारत बनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नितीश कुमार, शिव श्याम, महिमा आर्य, राधा देवी पुनीत राज, परी, रिमझिम, रोली, प्रिया, सौम्या, राम मोहन पाल, अरविन्द साहू सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
गरुण ध्वज पाण्डेय

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