नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। इस हमले के पीछे पाकिस्तान से जुड़ते तारों की पुष्टि के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार, 23 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री आवास पर हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक में कई अहम और ऐतिहासिक फैसले लिए गए। इनमें सिंधु जल संधि को स्थगित करना, वीजा रद्द करना और अटारी सीमा को बंद करना जैसे सख्त कदम शामिल हैं।
CCS बैठक में लिए गए 5 बड़े फैसले
1. सिंधु जल संधि पर रोक
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह और स्थायी रूप से नहीं छोड़ता, तब तक यह संधि लागू नहीं होगी।
2. अटारी बॉर्डर को बंद किया गया
भारत-पाकिस्तान के बीच पंजाब स्थित अटारी चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। केवल वे ही लोग जो वैध दस्तावेजों के साथ पहले से पार कर चुके हैं, उन्हें 1 मई 2025 से पहले वापस लौटने की अनुमति होगी।
3. पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द
सार्क वीजा छूट योजना (SVES) के तहत भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। भारत में मौजूद पाक नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं।
4. पाक उच्चायोग के अधिकारियों को निष्कासित किया गया
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को “अवांछित व्यक्ति” घोषित कर दिया गया है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने को कहा गया है। इसके साथ ही पाकिस्तान को निर्देश दिया गया है कि वह नई दिल्ली में अपने राजनयिक स्टाफ की संख्या घटाकर 30 तक सीमित करे, जो फिलहाल 55 है।
5. भारतीय सैन्य सलाहकारों की वापसी
भारत ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने सभी रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। इन पदों को वहां अब समाप्त मान लिया गया है।
सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया
बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी कि CCS ने समूची सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सभी सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत इस आतंकी हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे तक पहुंचाने और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने के लिए हरसंभव कदम उठाएगा। उन्होंने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का हवाला देते हुए कहा कि भारत आतंकियों और उनके मददगारों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सख्ती का संदेश
भारत के इन कदमों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि वह अब आतंकवाद और उसके समर्थन को किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगा। पहलगाम हमला केवल एक सैन्य चुनौती नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला है — और भारत अब पहले से कहीं अधिक दृढ़ होकर इसका जवाब दे रहा है।
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