अयोध्या। एक हजार करोड़ की लागत से बने राम मंदिर के गर्भगृह में एक तकनीकी कमी ने पुजारियों की चिंता बढ़ा दी है। गर्भगृह में रामलला को स्नान और अभिषेक के बाद जो पानी फर्श पर गिरता है, उसकी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे फर्श पर पानी जमा हो जाता है।
स्नान और अभिषेक की प्रक्रिया
राममंदिर के एक पुजारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रामलला के श्रृंगार से पहले रोजाना उन्हें स्नान कराया जाता है। इसमें सरयू जल के अलावा मधु पर्क से भी स्नान कराया जाता है, जिसमें दूध, दही, घी, और शहद मिला होता है। इसके बाद फिर से सरयू जल से स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद जो पानी फर्श पर गिरता है, उसकी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।
अस्थायी समाधान
पुजारियों ने एक अस्थायी समाधान के रूप में स्नान के लिए एक बड़ी थाल नीचे रखी है, ताकि पानी उसी में गिरे। बाद में इसे पौधों में अर्पित कर दिया जाता है। जो थोड़ा बहुत पानी बचता है, उसे सुखाकर साफ कर लिया जाता है, लेकिन यह व्यवस्था स्थायी समाधान नहीं है।
एसी की समस्या
गर्मी से बचाने के लिए रामलला के गर्भगृह में दो टॉवर एसी लगाए गए हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। पुजारी का कहना है कि राममंदिर के इंजीनियर इस समस्या का समाधान ढूंढने में लगे हुए हैं। राममंदिर ट्रस्ट ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है।
गर्भगृह की सुंदरता और तकनीकी चुनौतियाँ
भीषण गर्मी के बावजूद गर्भगृह में एसी नहीं लग पा रहा है, क्योंकि गर्भगृह का निर्माण पत्थरों से किया गया है। एसी लगाने के लिए पत्थरों को तोड़ना पड़ेगा, जिससे गर्भगृह की सुंदरता पर असर पड़ेगा। जल निकासी की व्यवस्था करने के लिए भी तोड़फोड़ करनी पड़ेगी, जिससे पत्थरों पर की गई भव्य नक्काशी को नुकसान पहुंचेगा। यह तकनीकी रूप से भी आसान नहीं है, क्योंकि राममंदिर में एक पत्थर के ऊपर दूसरे पत्थर को जोड़कर निर्माण किया गया है। जरा-सी छेड़छाड़ भी मुश्किल हो सकती है।
राम मंदिर गर्भगृह में यह तकनीकी कमी पुजारियों और राममंदिर ट्रस्ट के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए विचार-विमर्श जारी है, लेकिन इसके लिए गर्भगृह की सुंदरता और तकनीकी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समाधान निकालना होगा।