बस्ती के सदर ब्लॉक के 34 संकुल शिक्षकों ने प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष शैल शुक्ल के नेतृत्व में अपने इस्तीफे खंड शिक्षा अधिकारी सदर को सौंप दिए हैं। यह सामूहिक इस्तीफा शिक्षकों द्वारा डिजिटल हाजिरी और अन्य प्रमुख मांगों को लेकर किया गया है।
मुख्य मांगें: पुरानी पेंशन बहाली और अवकाश सुविधाएं
शिक्षकों की प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन बहाली, 31 दिवस का उपार्जित अवकाश, 15 अर्धआकस्मिक अवकाश और कैशलेस इलाज शामिल हैं। ये सभी मांगें शिक्षकों के पेशेवर जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
शिक्षकों का असंतोष: सरकार पर आरोप
प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष शैल शुक्ल ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार इन मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक डिजिटल हाजिरी का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार शिक्षक हितों के खिलाफ कार्य कर रही है, जिससे शिक्षकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
आंदोलन में प्रमुख शिक्षकों की भागीदारी
इस आंदोलन में ब्लॉक मंत्री विजय प्रताप वर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बृजेश पांडेय, संयुक्त मंत्री कृष्ण कुमार, रचना पाल, प्रभाकर धुसिया, अंकिता उपाध्याय, रश्मि बेन, सोनाली, मीनाक्षी, सौम्या, और अर्चना गुप्ता जैसे प्रमुख शिक्षक भी शामिल थे। उनकी उपस्थिति ने इस आंदोलन को और भी मजबूती प्रदान की है।
शिक्षकों की एकजुटता: संगठन की शक्ति का प्रदर्शन
शिक्षकों का यह सामूहिक निर्णय एकता और संगठन की शक्ति का प्रदर्शन है। यदि सरकार शीघ्र ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो इस आंदोलन का दायरा और भी बढ़ सकता है, जिससे शिक्षा व्यवस्था में अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है।
सरकार के लिए संदेश: शिक्षकों की आवाज सुनने की जरूरत
यह समय है कि सरकार शिक्षकों की आवाज सुने और उनके मुद्दों का समाधान करे, ताकि शिक्षा का स्तर ऊंचा रहे और शिक्षकों का मनोबल बढ़ा रहे। यह आंदोलन केवल एक संघर्ष नहीं है, बल्कि शिक्षकों की एक नई शुरुआत है, जो अपने अधिकारों और सम्मान के लिए एकजुट होकर लड़ रहे हैं।
भविष्य की दिशा: ठोस कदमों की आवश्यकता
उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस मामले को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाएगी, ताकि शिक्षकों को उनका उचित हक मिल सके और शिक्षा का भविष्य सुरक्षित हो सके। यदि सरकार ने शिक्षकों की मांगों पर समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो बड़े स्तर पर आंदोलन की संभावना बढ़ सकती है, जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।