महापर्व छठ पूजा, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में, सूर्य देवता और छठी माता की आराधना का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारंभ होता है और चार दिनों तक मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पूजा का महापर्व मंगलवार, 5 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा।
छठ पूजा के दिन और महत्व
छठ पूजा के चार दिनों में पहले दिन, नहाय-खाय, श्रद्धालु स्नान कर शुद्ध होते हैं और विशेष रूप से कद्दू, अरवी और चना दाल के साथ भोजन करते हैं। इसके बाद, दूसरे दिन खरना होता है, जिसमें उपवासी लोग दिनभर उपवास करते हैं और शाम को घर में विशेष प्रसाद बनाते हैं, जिसमें गुड़, चावल और दूध का खीर होता है। तीसरे दिन, श्रद्धालु अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जब सूर्य अस्त होता है। चौथे दिन, उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है, और इसी के साथ इस चार दिवसीय पर्व का समापन होता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता से सुख, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति करना है।
पारंपरिक अनुष्ठान और सामग्री
छठ पूजा के दौरान, श्रद्धालु बांस की टोकरी में फल, सब्जियां और अन्य सामग्री सजाते हैं, जिसे ‘ठेकुआ’ कहते हैं। यह विशेष प्रसाद होता है, जिसे घर के आंगन में या घाट पर अर्पित किया जाता है। विशेष रूप से नारियल, गन्ना, शहद, मिठाई, चावल, और दीये जैसे सामान का संग्रह किया जाता है। श्रद्धालु अपने परिवार के साथ घाट पर जाकर सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जाते हैं, जहां भक्ति गीत गाए जाते हैं और एकत्रित होते हैं।
अमहट घाट पर तैयारियां
इस पर्व की तैयारी में अमहट घाट और अन्य घाटों पर सजावट का काम जोर-शोर से चल रहा है। भक्तगण अपने-अपने स्थानों को सुरक्षित करने के लिए पहले से ही बेदी बनाते हैं। घाटों की साफ-सफाई, सजावट, और प्रसाद के लिए सामग्री जुटाने का काम पूरा हो चुका है। प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
सामाजिक समर्पण और एकता
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समर्पण और एकता का प्रतीक भी है। इस दौरान समाज के लोग एकत्रित होते हैं, भक्ति गीत गाते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो पूरे मनोयोग से इस पर्व की तैयारियों में जुटी रहती हैं।
निष्कर्ष
महापर्व छठ पूजा एक अनोखी परंपरा है, जो न केवल सूर्य देवता की आराधना करती है, बल्कि समाज में एकता और प्रेम को भी बढ़ावा देती है। यह पर्व हर साल भक्तों के मन में श्रद्धा और आस्था को और अधिक प्रगाढ़ करता है। इस वर्ष भी श्रद्धालु पूरे उत्साह के साथ इस महापर्व को मनाने के लिए तैयार हैं।
Basti News: दुष्कर्म के आरोपी का शव पेड़ से लटका मिला, आत्महत्या का शक