बहराइच हिंसा: आरोपियों के घर बुलडोजर पर हाईकोर्ट ने दी राहत:पढ़ें पूरा मामला ?

लखनऊ: बहराइच के महाराजगंज में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद कथित अतिक्रमणकर्ताओं को जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अंतरिम राहत दी है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 27 नवंबर तय की है।

सरकार और याचिकाकर्ता ने दाखिल किए जवाब

राज्य सरकार ने कोर्ट के निर्देशानुसार अपना जवाब दाखिल कर दिया है। याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने भी अपना प्रतिउत्तर पेश किया है। हालांकि, सुनवाई के समय यह प्रतिउत्तर कोर्ट की फाइल पर नहीं था, जिसे रिकॉर्ड पर लेने का निर्देश दिया गया। फिलहाल कोर्ट ने ध्वस्तीकरण नोटिसों पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया है, लेकिन 27 नवंबर तक कथित अतिक्रमणकर्ताओं को राहत दी है।

कोर्ट ने सरकार को दिए थे मौखिक निर्देश

इससे पहले 6 नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह केवल कानून सम्मत कार्रवाई करे। सरकारी वकीलों ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि कानून के दायरे में ही कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने और याचिकाकर्ता को इन पर आपत्तियां प्रस्तुत करने का समय दिया था।

ध्वस्तीकरण नोटिसों को दी गई चुनौती

याचिकाकर्ता संस्था ने ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देते हुए इन्हें रद्द करने की मांग की है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष हुई। याचिका में कहा गया है कि 17 अक्तूबर को जारी इन नोटिसों से पहले कोई उचित सर्वेक्षण नहीं किया गया था।

कोर्ट के सवाल: सर्वे और स्वामित्व पर स्पष्टता मांगी

कोर्ट ने राज्य सरकार से कई सवाल पूछे, जिनमें यह शामिल है:

  1. क्या नोटिस जारी करने से पहले कोई सर्वेक्षण किया गया था?
  2. जिन्हें नोटिस मिले हैं, क्या वे निर्माण के वैध स्वामी हैं?
  3. क्या नोटिस जारी करने वाला प्राधिकरण इसके लिए सक्षम था?
  4. क्या महाराजगंज बाजार की सड़क पर बने सभी निर्माण अवैध थे या केवल उनके कुछ हिस्से?

हिंसा और उसके बाद की कार्रवाई

बहराइच के महाराजगंज में 13 अक्तूबर को मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा में रामगोपाल मिश्रा की हत्या हो गई थी। इसके बाद, वहां कई लोगों को कथित अतिक्रमण के लिए नोटिस जारी किए गए। इन नोटिसों में उनके निर्माणों को अवैध बताते हुए ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया।

सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता

राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही और मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह कोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को सभी वांछित जानकारियां दीं और आश्वासन दिया कि कार्रवाई कानून के दायरे में की जा रही है।

अगली सुनवाई पर टिकी नजरें

मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी। फिलहाल, कथित अतिक्रमणकर्ताओं को राहत मिली है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट अगली सुनवाई में क्या निर्णय देता है और क्या इन नोटिसों को वैध माना जाएगा या नहीं।

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