बस्ती जिले के स्कूल में नल से हड्डी और मांस मिलने से हड़कंप: जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल

बस्ती, कप्तानगंज ब्लॉक के ग्राम पंचायत तिलकपुर की ग्राम सभा गंगापुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में हाल ही में एक अजीब और चिंताजनक घटना सामने आई है। विद्यालय के नल से हड्डी और मांस निकलने की सूचना ग्रामीणों ने दी, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों की लापरवाही ने मामले को और जटिल बना दिया है।

घटना की जानकारी मिलने के बाद हमारी टीम ने तुरंत घटना स्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। हमें पता चला कि पिछले तीन दिनों से विद्यालय में भोजन नहीं बन रहा था, जिससे बच्चों की पढ़ाई और उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ा था। जब हमारी टीम ने ग्राम प्रधान से संपर्क करने की कोशिश की, तो बात नहीं बन पाई। इसके बाद हमने ग्राम पंचायत के सचिव, सुमन देवी से फोन पर संपर्क किया।

सुमन देवी ने जब पूरी घटना को सुना, तो उन्होंने न केवल मामले की गंभीरता को नकारा, बल्कि हमें जवाब में कहा कि वे एक महिला हैं और हम उनसे बत्तमीजी कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा, “जाओ जो करना हो कर लो,” जो उनके गैर-जिम्मेदाराना दृष्टिकोण को दर्शाता है। ग्रामीणों ने भी सचिव के इस बयान को सुना और उनकी प्रतिक्रिया पर हैरानी जताई।

हमने सचिव से आग्रह किया कि विद्यालय के गेट पर ताला लगाया जाए और नल के हैंडल को लॉक कर दिया जाए ताकि कोई भी राहगीर या छात्र किसी संभावित घटना का शिकार न हो। इसके बावजूद, सचिव ने धमकी देते हुए फोन काट दिया। यह घटना न केवल अधिकारियों की गैर-जिम्मेदारी को उजागर करती है, बल्कि स्थानीय प्रशासन के प्रति ग्रामीणों की नाराजगी को भी दर्शाती है।

इस लापरवाही का खामियाजा विद्यालय के छात्रों और स्थानीय समुदाय को भुगतना पड़ सकता है। अगर किसी प्रकार की दुर्घटना घटती है, तो इस मामले में कौन जिम्मेदार होगा? प्रशासनिक लापरवाही और अनदेखी के कारण जनता की सुरक्षा और शिक्षा व्यवस्था को खतरा हो सकता है।

ग्रामीणों की मांग है कि उच्च अधिकारियों द्वारा इस मामले की तत्काल जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। साथ ही, विद्यालय में उचित सुरक्षा व्यवस्था की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न घटें। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दों पर प्रशासन की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना चाहिए, और इसके लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

इस घटना ने एक बार फिर से स्थानीय प्रशासन के कार्यप्रणाली और प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा किया है। अब यह देखना होगा कि क्या संबंधित अधिकारी और प्रशासन इस मामले में किसी ठोस कदम के साथ सामने आते हैं या फिर यह मामला ऐसा ही अधूरा रह जाएगा।

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