मेडिकल कॉलेज ओपेक चिकित्सालय कैली के पुराने भवन को नया स्वरूप देने के लिए वर्ष 2023 में शासन ने स्वीकृति दी थी। इस परियोजना के लिए 977.80 लाख रुपये का बजट भी मंजूर किया गया। कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम को पहली किस्त के रूप में 488.90 लाख रुपये जारी कर दिए गए।
2. साल भर बाद भी नहीं हुआ कोई ठोस कार्य

भवन को तीन चरणों में पुनर्निर्मित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन बजट अवमुक्त होने के एक साल बाद भी कोई चरण पूरा नहीं हो सका। पुराने भवन में बारिश के बाद स्थिति और खराब हो गई है। छत से पानी टपकता है, दीवारों में नमी है, और खिड़की-दरवाजे टूटे हुए हैं। ठंड में सर्द हवाएं भवन के अंदर तक आ रही हैं, जिससे मरीजों और स्टाफ को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
3. इमरजेंसी सेवा नए ब्लॉक में स्थानांतरित
पुराने भवन की खराब स्थिति के कारण इमरजेंसी सेवाएं नए ब्लॉक में स्थानांतरित करनी पड़ी हैं। हालांकि, ओपीडी किसी तरह चल रही है, लेकिन यहां भी मरीजों और कर्मचारियों को असुविधा झेलनी पड़ रही है।
4. कार्यदायी संस्था की लापरवाही से स्थिति बदतर
भवन को मरम्मत और नई सुविधाओं से लैस करने की जिम्मेदारी राजकीय निर्माण निगम पर है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ है। जनता और अस्पताल प्रशासन इस देरी से परेशान हैं।
5. कायाकल्प का इंतजार
पुराना भवन अभी भी अपने कायाकल्प की प्रतीक्षा कर रहा है। सरकार और संबंधित संस्थाओं की अनदेखी के कारण यह परियोजना ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। अगर समय रहते निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ, तो मरीजों और स्टाफ को होने वाली समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
निष्कर्ष
यह स्थिति जिम्मेदार संस्थाओं की लापरवाही को उजागर करती है। सरकारी धन का सही उपयोग और समय पर कार्य पूरा होना न केवल प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए, बल्कि यह जनता के स्वास्थ्य और सुविधाओं से भी जुड़ा है।