राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की ओर से हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले करीब दो दशक में देश में बच्चों के कुपोषण में आशातीत कमी आई है। लेकिन इस दौरान कमजोर वर्ग के बच्चों के शरीर में पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी यानि कुपोषण के मामले बढ़ गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2005-06 की तुलना में वर्ष 2019-21 में कुपोषण में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, वर्ष 2015-16 के बाद बच्चों में उम्र और लंबाई के हिसाब से वजन कम होने और एनीमिया के मामले बढ़े हैं।
अनुसूचित जाति–जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के बच्चों में बढ़ा कुपोषण
परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की तीन अलग-अलग रिपोर्ट से पता चलता है वर्ष 2015-16 में एससी वर्ग के बच्चों में कुपोषण के मामले 60.6 फीसदी दर्ज किए गए थे जो 2019-21 में बढ़कर 70.3% हो गया। इसी तरह एसटी वर्ग के बच्चों में कुपोषण 63.3 से बढ़कर 73.9 फीसदी तथा ओबीसी वर्ग के बच्चों में यह आंकड़ा 58.6 फीसदी से बढ़कर 66.1 फीसदी हो गई। तीनों वर्गों में यह बढ़ोतरी लगभग 10-12 फीसदी तक देखने को मिली हैं। इस तरह अन्य जातियों से तुलना करने पर एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के बच्चों में कुपोषण के मामले अधिक मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019-21 में एससी के बच्चों में बौनापन 39.2 फीसदी दर्ज किया गया, जबकि अन्य जातियों यह 29.6 फीसदी रहा।
कुपोषित मिले। यहां 19.7%, 23.2 फीसदी और 18.9% रहा, जबकि अन्य जातियों में 17.1% दर्ज किया गया।
पांच महीने से पांच वर्ष तक के बच्चों पर हुआ गहन अध्ययन
एनएचआरसी ने हिमाचल के केंद्रीय विश्वविद्यालय के जरिए देश में एससी-एसटी वर्ग के बच्चों में खाद्य और पोषण सुरक्षा के बारे के में पता लगाने के लिए यह अध्ययन किया है। इसमें पांच महीने से लेकर पांच साल तक के उम्र वाले बच्चों का डाटा जुटाया गया। रिपोर्ट में चिंता जताई गई कि 2015-16 और 2019-21 के बीच की अवधि में बच्चों में उम्र के हिसाब से कम लंबाई होने और एनीमिया के मामले में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
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