पारदर्शिता की भी मांग की, कहा केंद्र की घोषणा सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए
कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को केंद्र सरकार से 16वीं जनगणना में शामिल जातिगणना के लिए तेलंगाना मॉडल को अपनाने का आग्रह किया तथा इस अभ्यास में देरी करने का भी आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि सरकार की नवीनतम घोषणा का उद्देश्य “सुर्खियां बटोरना, समय काटना और कथानक का प्रबंधन करना” है।
ज्ञातव्य है कि बीते सोमवार (16 जून, 2025) को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगली जनगणना 2027 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। जिसमें यह भी दोहराया था कि जाति जनगणना इस अभ्यास का हिस्सा होगी।
यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने सरकार से जाति जनगणना के बारे में पारदर्शी होने को कहा। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य केवल किसी व्यक्ति की जाति के बारे में डेटा एकत्र करना नहीं है, बल्कि परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को समझना और उनकी आजीविका में पर्याप्त सुधार करने के लिए नीतियां बनाना है। “जाति पर ठोस डेटा के बिना, कोई भी राज्य या केंद्र सरकार लक्षित हस्तक्षेप लागू नहीं कर सकती है, जिसे हम हासिल करना चाहते थे। मैं मोदी सरकार से तेलंगाना मॉडल का पालन करने और अधिक परामर्श प्रक्रिया अपनाने का आग्रह करूंगा।” साथ ही उन्होंने कहा कि जाति जनगणना को लेकर सरकार की मंशा पर संदेह है क्योंकि इसके लिए केवल 574 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जबकि इस काम के लिए लगभग 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस ने जाति जनगणना की मांग उठाई थी, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ऐसी मांग करने वाले लोग “शहरी नक्सली” हैं।
उन्होंने पार्टी के इंदिरा भवन मुख्यालय में कहा, “जाति जनगणना की मांग का नेतृत्व कांग्रेस ने किया था, खासकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने, जो कई सालों से इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। पार्टी की लगातार और जोरदार मांग के कारण मोदी सरकार ने झुकते हुए जाति जनगणना की घोषणा की है। हालांकि, तथ्य और आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।”
जाति जनगणना के लिए श्री गांधी के “अथक अभियान” को रेखांकित करते हुए, भारतीय युवा कांग्रेस के प्रमुख उदयभानु छिब ने कहा कि पार्टी श्री गांधी के जन्मदिन के अवसर पर 19 जून को देश भर में जाति जनगणना पर सेमिनार आयोजित करेगी।