-अकीदतमंदों ने ईदगाह तथा मस्जिदों में विशेष नमाज अदा कर एक दूसरे से गले मिलकर दी मुबारकबाद
बस्ती। जिले में ईद–उल–अजहा की नमाज ईदगाहों व मस्जिदों में अदाकर लोगों ने मुल्क में अमन, चैन, शांति व तरक्की के लिए दुआ मांगी। नमाज बाद लोगों ने एक दूसरे से गले लगकर बधाई दी। उसके बाद निर्धारित स्थानों पर कुर्बानी दी गई। शहर सहित जिले के समस्त ईदगाहों तथा मस्जिदों में ईद उल अजहा की नमाज पढ़ी गई। नजाम का सिलसिला सुबह सात बजे से शुरू हुआ था, जो देर दोपहर तक चलता रहा।
नमाजियों ने देश की तरक्की और अमन के लिए दुआएं मांगी। प्रत्येक ईदगाह पर पुलिस प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रही। नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। दिन भर लोग एक-दूसरे के घर जाकर सेवईयां, खीर और शीर कोरमा का लुत्फ उठाते रहे।
रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद के बाद इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे,
तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह त्यौहार भरोसा और त्याग का जीवंत प्रतीक माना जाता है। इस दिन मुसलमान अल्लाह के प्रति आस्था दिखाने के लिए कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी का मांस गरीबों, रिश्तेदारों और अपनों में बांटते है।
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