प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और अन्य उच्च अधिकारियों के साथ जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर गहन चर्चा की। हाल ही में हुए आतंकी हमलों के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने एनएसए डोभाल और अन्य अधिकारियों को आतंकवाद रोधी क्षमताओं का पूर्ण इस्तेमाल करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात की और आतंकवाद रोधी अभियानों की समीक्षा की।
प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से भी बातचीत की और केंद्र शासित प्रदेश की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया। पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने कई हमले किए हैं। रियासी, कठुआ और डोडा जिलों में हुए हमलों में दस तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और एक सीआरपीएफ जवान शहीद हो गया। साथ ही, सात सुरक्षा कर्मी और कई अन्य घायल हुए हैं।
सुरक्षा बलों ने विभिन्न जिलों में सघन सर्च ऑपरेशन चलाए हैं और संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए जा रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि 72 घंटों में तीन हमले एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं। पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ताजा घुसपैठ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। भले ही बॉर्डर पर सीजफायर लागू है, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के सदस्य जम्मू-कश्मीर में प्रवेश कर रहे हैं। सेना के सूत्रों ने स्वीकार किया है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन में आतंकियों को मदद पहुंचाने वाली ‘ब्लैक शीप’ (काली भेड़) मौजूद हैं। इनकी पहचान और खोज के लिए अलग से ऑपरेशन शुरू किया गया है।
हाल के समय में आतंकियों का फोकस कश्मीर घाटी की बजाय जम्मू क्षेत्र पर अधिक हो गया है। रविवार को जम्मू के रियासी में आतंकियों ने शिवखोड़ी मंदिर से कटरा जा रहे तीर्थयात्रियों की एक बस को निशाना बनाया था, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई और तीन दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। सूत्रों का मानना है कि जम्मू क्षेत्र में आतंकी हमलों की बढ़ती संख्या के पीछे घुसपैठ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की खुफिया इकाई के सूत्रों का भी मानना है कि पाकिस्तान की ओर से बड़ी घुसपैठ संभव है। यह भी संभव है कि घुसपैठ एक ही बार में न होकर छोटे-छोटे अंतराल पर हुई हो। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर सुरक्षा बलों का शिकंजा कसता जा रहा है, जिससे आतंकी संगठनों को घाटी में नए सदस्य नहीं मिल पा रहे हैं। इसी कारण, आतंकियों की नई भर्ती में भी काफी गिरावट आई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक और निर्देश के बाद सुरक्षा बलों ने अपनी सतर्कता और भी बढ़ा दी है। उम्मीद की जा रही है कि इन कदमों से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी और शांति स्थापित होगी। प्रशासन और सुरक्षा बलों के समन्वित प्रयास से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में सुधार लाया जा सकेगा।