करवा चौथ कब और क्यों मनाया जाता है जाने चाँद निकलने का सही समय

करवा चौथ एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत में मनाया जाता है, और यह व्रत (fast) पुरुष और महिलाएं दोनों द्वारा मनाया जाता है। करवा चौथ का आयोजन आमतौर पर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथ तिथि को किया जाता है, जो अक्टूबर या नवम्बर महीने में आती है। करवा चौथ का उपवास महिलाएं अपने पतकरवा चौथ, एक प्रमुख भारतीय पर्व, हमारे समाज में विशेष महत्व रखता है। इस व्रत की पौराणिक कथा और महत्व पर गौरव भरपूर है। इस लेख में, हम जानेंगे कि करवा चौथ का व्रत कैसे शुरू हुआ था

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ हिन्दी पंचांग के अनुसार एक विशेष महत्वपूर्ण पर्व है जो व्रत, पूजा और अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना के साथ मनाया जाता है। इस पर्व की तारीख कभी-कभी वर्ष के आधार पर बदलती है, लेकिन यह अक्टूबर और नवम्बर के बीच में मनाई जाती है।करवा चौथ व्रत की शुरुआत चौथी तिथि को होती है, जो चैत्र मास (फाल्गुन मास) और कार्तिक मास (करवा चौथ) के महिनों में मनाया जाता है।चौथी तिथि को चंद्रमा के दृश्य के साथ करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस दिन सूखी का आश्वासन मिलता है और इसे विवाहित महिलाएं अपने पति के लिए करती हैं ।

चाँद निकलने का सही समय

अगर पूजा पूरी विधि विधान और सही समय के साथ की जाए तो इस व्रत का पूरा फायदा पति-पत्नी दोनों को मिलता है. साथ ही बताया कि करवा चौथ पर व्रती महिलाओं को विधि विधान और समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए. करवा चौथ व्रत : सुबह 6:36 से रात 8:26 बजे तक है.

करवा चौथ 2023 मुहूर्त
करवा चौथ व्रत:-
 सुबह 6:36 से रात 8:26 बजे तक है.
करवा चौथ पूजा :-
 शाम 5:36 मिनट से शाम 6:54 मिनट तक है.
करवा चौथ चंद्रोदय का समय :
-रात 8:05 बजे, 1 नवंबर 2023 (लखनऊ)

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करवा चौथ की तैयारी: एक अनुषासनिक प्रक्रिया

करवा चौथ त्योहार की तैयारी एक महत्वपूर्ण और अनुषासनिक प्रक्रिया है, जिसमें ध्यानपूर्वक नियमितता और समय प्रबंधन की आवश्यकता होती है। यहां हम आपको करवा चौथ की तैयारी के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताएंगे:

अनुषासन और समय प्रबंधन

करवा चौथ की तैयारी में अनुषासन और समय प्रबंधन का महत्वपूर्ण भूमिका होता है। आपको इस दिन के विशेष आयोजन के लिए समय की अच्छी तरह से प्रबंधन करना होगा। इसके लिए आप एक तैयारी कार्यक्रम बना सकते हैं जिसमें सभी कार्य का समय से पूर्ण किया जाता हैं ।

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परंपरागत उपचार: सिंदूर संथन

सिंदूर संथन, एक परंपरागत भारतीय उपचार प्रथा, हमारे समाज में गहनों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विशेष रूप से भारतीय सामाजिक संरचना में महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है और उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। इस लेख में, हम सिंदूर संथन के पिछले, वर्तमान, और भविष्य की महत्वपूर्ण पहलुओं पर बात करेंगे।

प्राचीन संथन: सिंदूर का महत्व

सिंदूर का इतिहास – सिंदूर का प्रचलन एक प्राचीन परंपरागत उपचार के रूप में भारतीय समाज में है यह परंपरा सदियों से चली या रही है, सिंदूर सुहागन का प्रतीक हैं । महिलाओं के लिए आदर्श है सिंदूर का प्रयोग महिलाओं के सौंदर्य और विवाहित जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।करवा चौथ, भारतीय पर्वों में से एक है जो विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में महिलाओं की शक्ति और सौभाग्य की प्रतीक है और इसे खास धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस लेख में, हम आपको करवा चौथ के महत्व, पूजा की तैयारी, व्रत के नियम, परंपरागत रीति-रिवाज, महिलाओं की विशेष भूमिका होती है ।

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