बस्ती। सरयू नदी बुधवार को लाल निशान से 27 सेंटीमीटर ऊपर होकर प्रवाहित होने लगी, जिससे ग्रामीण और प्रशासनिक अधिकारी चिंतित हो गए। हालांकि, सुबह आठ बजे के बाद से नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है, लेकिन उफनती लहरों ने तबाही का संकेत दे दिया है।
प्रभावित गांव और तटबंध
दुबौलिया और विक्रमजोत ब्लॉक के एक दर्जन से अधिक गांव पानी से घिरे हुए हैं। विक्रमजोत क्षेत्र के लोलपुर विक्रमजोत तटबंध और विक्रमजोत-धुसवा तटबंध पर पानी का दबाव बढ़ रहा है। एडीएम प्रतिपाल चौहान ने बताया कि स्थिति फिलहाल काबू में है और प्रशासन एवं बाढ़ विभाग की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं।
जलस्तर का स्थिरता
केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार, बुधवार शाम पांच बजे जलस्तर 93.00 मीटर पर स्थिर रहा, जो कि खतरे के निशान से 27 सेंटीमीटर ऊपर है। दुबौलिया ब्लॉक के सुविकाबाबू गांव सहित कई गांव पानी से घिर चुके हैं।
मोटरबोट और नाव की व्यवस्था
प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में मोटरबोट और नाव की व्यवस्था की है, जिससे ग्रामीण अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा कर सकें। कई गांवों के लोग अपनी झोपड़ियों में कैद हो गए हैं, और प्रशासन ने अभी इन गांवों को मैरूंड घोषित नहीं किया है।
संवेदनशील तटबंध
गौरा सैफाबाद तटबंध और कटरिया-चांदपुर तटबंध की स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। बाढ़ खंड लगातार निगरानी कर रहा है। इन तटबंधों पर स्पर निर्माण कार्य भी चल रहा है।
बैराजों से छोड़ा गया पानी
बुधवार को विभिन्न बैराजों से 361233 क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा गया। गिरिजा बैराज से 128600 क्यूसेक, शारदा बैराज से 230676 क्यूसेक और सरयू बैराज से 1957 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
शरणालयों की व्यवस्था
दुबौलिया ब्लॉक क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालय कटरिया प्रथम और द्वितीय, सर्वोदय विद्यालय सांडपुर, हेंगापुर, और प्राथमिक विद्यालय बरसाव में शरणालय बनाए गए हैं। यहां की सफाई कराकर लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है, हालांकि अभी बाढ़ पीड़ित नहीं पहुंचे हैं।
स्वास्थ्य टीम की सहायता
सीएचसी दुबौलिया के अधीक्षक सुशील कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य टीम बाढ़ प्रभावित गांव सुविकाबाबू पहुंची। यहां ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवाएं दी गईं। चिकित्सकों ने पानी उबालकर पीने, खाना ढककर रखने और मच्छरदानी का उपयोग करने की सलाह दी। पशुचिकित्साधिकारी अजय कुमार गौड़ ने बताया कि बाढ़ के पहले ही प्रभावित क्षेत्रों के पशुओं का टीकाकरण करा दिया गया है और पशुपालकों को दवाएं दी जा चुकी हैं।