बस्ती। माझा क्षेत्र में बारिश होने से तबाही बढ़ जाएगी। सरयू नदी के आगोश में दुबौलिया और विक्रमजोत ब्लॉक के एक दर्जन से अधिक गांव आ चुके हैं। इन गांवों के चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। यदि बारिश हुई तो इन गांवों में पानी का बहाव नहीं हो पाएगा और जलभराव की समस्या बढ़ जाएगी। ऊपर से नदी का दबाव भी रहेगा।
पिछले सप्ताह की बारिश से बिगड़ी स्थिति
पिछले सप्ताह तीन-चार दिनों तक हुई मूसलधार बारिश के चलते बाढ़ प्रभावित गांवों की स्थिति बिगड़ गई। बारिश का पानी जगह-जगह एकत्र हो गया, जिससे तटबंधों में नमी आ गई। रेनकट और छिटपुट कटान की समस्या सामने आई। सरयू का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा और नदी का विकराल रूप गांवों की ओर बढ़ने लगा। दुबौलिया ब्लॉक का सुबिका बाबू गांव मैरुंड हो गया। तटबंध विहीन एक दर्जन गांवों से नदी सटकर बहने लगी है।
तटबंधों पर बढ़ता दबाव
कुछ जगहों पर तटबंध पर भी नदी का दबाव पड़ने लगा है। ऐसे में नदी के जलस्तर में वृद्धि और बारिश दोनों से तटीय गांवों में खतरा बना हुआ है। फिलहाल, चार दिनों से बारिश थमी हुई है और बृहस्पतिवार को नदी का जलस्तर भी कुछ कम हुआ है। केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार, बृहस्पतिवार को नदी का जलस्तर 93.060 मीटर पर रिकॉर्ड हुआ, जो खतरे के निशान से 33 सेंटीमीटर ऊपर है।
माझा क्षेत्र के ग्रामीणों पर आफत
माझा क्षेत्र अब आफत के रडार पर है। बारिश होने या नदी का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों में जान बचाकर सुरक्षित ठौर तलाशने की जद्दोजहद बढ़ जाएगी। जलस्तर कम होने के बावजूद मुसीबत कम नहीं होगी, क्योंकि इस स्थिति में कटान होने लगती है, जिससे खेत, खलिहान, पेड़, बगीचों के अलावा तटबंधों को नुकसान पहुंचने की चिंता है।
कटरिया में ठोकर नंबर एक पर नदी का दबाव
सरयू नदी का जलस्तर बुधवार की शाम तक स्थिर रहा, लेकिन रात में बढ़त दर्ज हुई और बृहस्पतिवार भोर से धीरे-धीरे घटने लगी, जिससे कटान होने की चिंता बढ़ गई है। अति संवेदनशील तटबंध कटरिया-चांदपुर तटबंध पर कटरिया गांव के पास बने ठोकर नंबर एक पर नदी का तेज बहाव बना हुआ है। यहां बाढ़ खंड लगातार निगरानी कर रहा है। खजांचीपुर से लेकर खलवा तक नदी की मुख्य धारा तटबंध से सटकर बह रही है।
गौरा-सैफाबाद तटबंध की स्थिति संवेदनशील
गौरा-सैफाबाद तटबंध पर 500 मीटर में स्थिति संवेदनशील है। पारा गांव के सामने बने ठोकरों और कटर पर नदी का तेज दबाव बना हुआ है। बाढ़ के पानी से घिरे सुबिका बाबू गांव के लोगों का आवागमन मोटरबोट से हो रहा है। नदी उस पार स्थित देवारारगंगबरार का एक पुरवा व अराजीडूही धरमूपुर मुस्तहकम का कुर्मियाना पुरवा, विक्रमजोत ब्लॉक का माझा किताअव्वल गांव बाढ़ के पानी से घिर गया है। जबकि आंशिक टेढ़वा पानी से घिरा है। भुअरिया, सतहा गांव में भी बाढ़ का पानी फैला हुआ है। इससे लोगों को रोजमर्रा के सामान लेने के लिए तटबंधों पर आना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी पशुपालकों को हो रही है क्योंकि पशुचारे का प्रबंध नहीं हो पा रहा है।
पशुओं का टीकाकरण अभियान
बाढ़ प्रभावित गांवों में पशुओं का टीकाकरण कराया जा रहा है। पशु चिकित्साधिकारी चिलमा अजय कुमार गौड़ के नेतृत्व में सुबिका बाबू गांव में शिविर लगाकर पशुओं का टीकाकरण किया गया। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित सभी गांवों में यह अभियान चलाया जाएगा।
विरासत में मिली बाढ़ की विभीषिका
दुबौलिया के सुबिका बाबू गांव के नागरिकों को विरासत में बाढ़ की विभीषिका मिली है। तटबंध और नदी के बीच बसे 40 घरों के इस पुरवे में 300 की आबादी निवास करती है। हर साल यहां के लोगों की घर-गृहस्थी चार महीने के लिए उजड़ जाती है। बाढ़ की त्रासदी झेलना यहां के लोगों की नियति बन गई है। गांव के निवासी बताते हैं कि इस बार बाढ़ बहुत पहले आ गई, जिससे धान की रोपाई नहीं हो पाई थी। खेत-खलिहान पानी में डूब चुके हैं और पैदावार की उम्मीद नहीं है। मुकेश नामक निवासी ने बताया कि चार महीने घरों में कैद होकर रहना पड़ता है। प्रशासन ने इस बार तत्काल मोटरबोट लगाकर काफी सहूलियत दी है, जिससे बच्चों को स्कूल आने-जाने में आसानी हो रही है।