लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) में आज से बड़े पैमाने पर संविदा कर्मचारियों की छंटनी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शुरुआती चरण में करीब 25,000 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं, जिससे बिजली विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। जगह-जगह प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं, लेकिन मुख्यधारा की मीडिया इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि जो भी आवाज उठाता है, उसे तुरंत धमकी दी जाती है, और मीडिया को जैसे आम जनता की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। प्रदर्शन कर रहे कुछ कर्मचारियों ने कहा –
“जरा रुक जाओ, जल्द ही सभी सेक्टरों में सबका नंबर आएगा। जो आज चुप है, वह गूंगा है।”
कर्मचारियों और प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि सरकार जनता के अधिकारों पर नियंत्रण स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। जातिगत जनगणना, जनता को आपस में लड़ाना, और मीडिया के जरिए टीआरपी बटोरना – ये सब उसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं, जिसमें आम जनता की आर्थिक कमर महंगाई से तोड़ी जा रही है और धीरे-धीरे पूंजीपतियों की गुलामी की ओर धकेला जा रहा है।
प्रदर्शन में शामिल कुछ लोगों ने इसे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) और संयुक्त राष्ट्र (UN) की उस रणनीति से जोड़कर देखा, जिसके तहत 2030 तक नई वैश्विक व्यवस्था (New World Order – NWO) के नाम पर आम लोगों पर पूर्ण नियंत्रण की योजना बनाई जा रही है।
सरकार की प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है, जबकि विभागीय स्तर पर कर्मचारियों को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
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