जापानी इंसेफेलाइटिस (जे इ) एक विषाणु जनित संचारी रोग है, जिसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए डिप्टी सीवीओ रामनगर डॉ बलराम चौरसिया ने रामनगर में संचारी रोग नियंत्रण अभियान अंतर्गत, शूकर पालक जागरूकता गोष्ठि में जानकारी दी।
संचारी रोग क्या है?
डॉ चौरसिया ने बताया कि ऐसे रोग जिनका संचार या फैलाव दूषित हवा, खाना, पानी, मच्छर, कीट आदि के काटने से होता है, संचारी रोग कहा जाता है। जापानीज इंसेफेलाइटिस या दिमागी बुखार जो बच्चों को होता है, एक संचारी रोग है।
जापानी इंसेफेलाइटिस का विषाणु
इस रोग का विषाणु को जीवन चक्र पूरा करने के लिए मच्छर और शुअर की आवश्यकता होती है। शुअर जे इ के विषाणु का प्राकृतिक आवास होता है। यह विषाणु शुअर से मानव तक मच्छर के माध्यम से पहुंचकर मानव को बीमार कर सकतें हैं।
बचाव के उपाय
डॉ चौरसिया ने बताया कि जे इ एवं अन्य घातक बीमारियों से बचाव के लिए मच्छर से बचना होगा और इसके लिए अपने घर पर और आस पास साफ सफाई रखना नितांत आवश्यक है। रात्रि में सोते समय मच्छरदानी जरूर लगाएं। और कभी भी एक से चौदह पंद्रह साल के बच्चे को बुखार आये तो हल्के में न लें तुरन्त चिकित्सक को दिखाकर समुचित उपचार करायें।
कीट नाशक की छिड़काव
मौके पर शूकर बाड़ा के आस पास कीट मच्छर से बचाव के लिए कीट नाशक की छिड़काव किया गया। इस अवसर पर रामसुमेर, भूलन, सुखराम, विकास, राकेश आदि मौजूद रहे।
जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए साफ सफाई रखना और मच्छर से बचना नितांत आवश्यक है। अपने घर पर और आस पास साफ सफाई रखें और मच्छरदानी लगाएं। अगर आपके बच्चे को बुखार आये तो तुरन्त चिकित्सक को दिखाकर समुचित उपचार करायें।