बस्ती (सोनपुर):
दीनदयाल त्रिपाठी की अध्यक्षता में सोनपुर में एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई, जिसमें शिक्षा के बाजारीकरण और शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ सुधार की मांग को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। इस बैठक में मेधा पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, स्वर्गीय श्री लक्ष्मीकांत शुक्ल (पूर्व आईएएस) के संघर्ष को याद किया गया, जिन्होंने उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक गरीबों के लिए मुफ्त शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ऐतिहासिक जीत हासिल की।
स्वर्गीय लक्ष्मीकांत शुक्ल की उपलब्धियां:
- दशमोत्तर कक्षाओं में फीस भरपाई और वजीफे का अधिकार:
स्वर्गीय शुक्ल ने सभी जातियों को अनुसूचित जाति और जनजाति की तर्ज पर दशमोत्तर कक्षाओं में फीस भरपाई और वजीफे का हक दिलाया। - निजी शिक्षण संस्थानों में मुफ्त शिक्षा:
उन्होंने 6 से 14 वर्ष के गरीब बच्चों को निजी शिक्षण संस्थानों में 25% सीटों पर निःशुल्क प्रवेश का अधिकार दिलाया। हालांकि, यह देखा गया है कि अभी भी इस योजना का शत प्रतिशत लाभ सभी पात्र लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पा रहा है।

प्रमुख मुद्दे:
- निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा हर साल मनमानी तरीके से फीस वसूली।
- किताबों और अन्य सामग्रियों में अनावश्यक बदलाव।
- पंजीकरण शुल्क और अन्य वस्तुओं की खरीद के लिए निश्चित दुकानों पर निर्भरता।
मेधा पार्टी का अभियान:
मेधा पार्टी ने शिक्षा के बाजारीकरण और शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ इंकलाबी आवाज उठाने का निर्णय लिया है। पार्टी ने जनजागरण अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य शोषण को समाप्त करना और शिक्षा को सुलभ बनाना है।
सभी नागरिकों से सहयोग की अपील:
मेधा पार्टी ने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों से सुझाव, समर्थन और सहयोग की अपील की है। अभियान से जुड़ने के इच्छुक लोग संपर्क कर सकते हैं।
यह पहल शिक्षा को व्यापार से मुक्त कर एक सशक्त और समान समाज के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।