बस्ती – महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज की चिकित्सा इकाई ओपेक अस्पताल कैली के मानसिक रोग विभाग में मंगलवार को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया गया। इस अवसर पर आत्महत्या की घटनाओं को रोकने और लोगों में जागरूकता फैलाने पर विशेष जोर दिया गया।
जागरूकता से आत्महत्या की घटनाओं में आएगी कमी: प्रधानाचार्य डॉ. मनोज
कुमार
महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोकने का सबसे कारगर उपाय जागरूकता है। उन्होंने बताया कि विषम परिस्थितियों में भी व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए, बल्कि साहस के साथ उनका सामना करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आत्महत्या की रोकथाम के लिए खासकर युवा वर्ग को जागरूक करने की आवश्यकता है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की महत्ता
डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि हर साल 10 सितंबर को यह दिवस आत्महत्या जैसी घटनाओं की रोकथाम के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। उन्होंने आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की और बताया कि इसके रोकथाम में समाज के हर व्यक्ति की अहम भूमिका हो सकती है। परिवारों में तालमेल और सामंजस्य बनाए रखने की बात पर भी जोर दिया गया।
पारिवारिक और आर्थिक समस्याएं आत्महत्या की बड़ी वजह: प्रियंका केसरवानी
कम्युनिटी मेडिसिन की विभागाध्यक्ष प्रियंका केसरवानी ने कहा कि पारिवारिक कलह और आर्थिक तंगी जैसी समस्याएं भी आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपने आसपास के लोगों के व्यवहार में आने वाले नकारात्मक बदलावों पर ध्यान देना चाहिए और समय रहते उन्हें उचित मार्गदर्शन देना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं पर ध्यान देना जरूरी: डॉ. दिलीप कुमार वर्मा
मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार वर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मन में आत्महत्या के विचार आना गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत होता है। उन्होंने बताया कि अगर समय पर इसका निदान और उपचार किया जाए, तो आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
“क्या जागरूकता से रुकेंगी आत्महत्या की घटनाएं? विशेषज्ञों ने किया गंभीर चिंताओं का खुलासा!”
इस अवसर पर मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम से जुड़े विशेषज्ञों में डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, डॉ. अनिल यादव, डॉ. बीएल कन्नौजिया, डॉ. अलका शुक्ला, और डॉ. विजय शंकर भी मौजूद थे। सभी ने आत्महत्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया।